जौं हमरा-आहाँ कें मिथिला राज्य चाही? :: सुभाष कुमार कामत

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जौं हमरा आहाँ कें मिथिला राज्य चाही?

तँ हमरो गप्प ध्यान सँ सूनू
कतेकौ एलाह, कतेकौ गेलाह
कतेकौ एताह, कतेकौ जायताह
अनशन आंदोलन करबा सँ किछु नइ भेटत
कतए कए रहल छी भूल
एहि बातक जड़ि खोजअ परत

जौं हमरा अहां क मिथिला राजय चाही ?
तँ हमरो गप्प ध्यान सँ सूनू
मैथिली , मिथिला लेल बाहर खूब हल्ला करैत छी
मैथिली भाषी भऽ कए अपनहि मैथिली बाजैमे हीन बूझै छी
मैथिलीक नून खाइ बाला, मैथिली बाजैमे लाज करैंय

जौं हमरा अहाँकें मिथिला राज्य चाही ?
तँ हमरौ गप्प ध्यान सँ सूनू
चारि करौड़ सँ बेसी मैथिली भाषी अपनाकें कहैत छीए
किएक नहिँ पचासों हजार मैथिलीक पन्ना – पोथी
किनैय आ पढ़य वाला भेटिंए ?
तँ कियाक न कोनो अखबार मैथिली मे नित्य छपएयैं ?

जौं दिल सँ चाहैत छी मिथिला राजय
तँ हमरौ गप्प ध्यान सँ सूनू
आपसमे जॅ ढने मने भइ कें
अनगिनत मिथिला आओर मैथिली नाम पर पार्टीं बनौने छी
सब मिलि एक होऊ
मधुमाछी छाता मे जिना एकटा रानी मधुमाछी होत अछि
सब मिलि एकटा नायक चूनू

ठाकुरजी चौधरीजी झाजी मिश्रजीक दलान सँ बहरा दियौक
जाय दियौक यादवजी मंडलजी सिंहजी अंसारीजी रामजी साहूजी मेहताजी महतोजी सहनीजी पासवानजी भंडारीजी आ बारहौ वर्णक दलान पर

अल्पसंख्यक जकाँ एक जगह बसिकए
आपस मे विचार विर्मश कंरू
जौं हमर बात अनसोहात बूझाइतँ अछि
तँ आपस मे एक दूसर सँ लड़िते रहूँ
राजनीतिक स्वार्थ मे डूबल रहूँ
एक दोसर क आपस मे टाग खिचैत रहूँ

मिथिला राज्यक मांग बन्द करु ?
मिथिला राज्यक नारा कें जाय दियौक
घसछिलनी क छिट्टा मे , हरबाहक लागैन पर ।

© सुभाष कुमार कामत
नौआबाखर, घोघरडीहा


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