अरिपन :: मिथिलाक साँस्कृतिक विशिष्टता

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अरिपन :: मिथिलाक साँस्कृतिक विशिष्टता
मिथिलाक चित्रकला (अइपन)

मिथिलाक अरिपन आब एकटा विश्वकलाक रूप में परिवर्तित भय स्वीकृत भ चुकल अछि आ मैथिली कला में दक्ष लोकनिकेँ आब सरकारी उपाधि सेहो भैटय लागल छन्हि। ‘अरिपन’ शब्दक विकास आलेपन अथवा आलिम्पणसँ भेल अछि- ‘आलेपन’ 64कलामे सँ एक कला मानल गेल अछि जकरा हमरा लोकनि चित्र अथवा शिल्पकला कहि सकय छी।

अरिपन देबाक प्रथा तँ प्राचीन कालहिसँ चलि आबि रहल अछि। प्रत्येक शुभ कार्य में कोनो रूपमे अरिपन देबाक प्रणाली प्राचीनकालहु मे छल। शुभ कर्मक अवसर ‘सर्वतोभद्र’, ‘स्वास्तिक’, ‘षोड़सदल’, ‘अष्टदल’, आदि एकरे प्रभेद मानल गेल अछि आ एकर प्रमाण प्राचीन साहित्य मे सेहो भेटैत अछि। निम्नलिखित उदाहरण सबसँ प्रमाण भेटत –

 

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