बेनीपट्टी परिसरक लेखन-1 : : मिथिलेश कुमार झा

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बेनीपट्टी परिसरक लेखन (1)

वर्तमान बेनीपट्टी अनुमंडलकेँ यदि बेनीपट्टी परिसर मानि लेल जाए तऽ एहि परिसरक साहित्य, दर्शन, धर्मशास्त्र आदिक लेखनमे जे योगदान अछि ताहि बिना भारते नहि अपितु, विश्व-वांगमयक चर्चा असम्भव अछि। याज्ञवल्क्य (यज्ञवन-जगवन) शुक्ल यजुर्वेदक रचना केलनि। ब्रह्मपुर (रतनपुर बढ़मपुर) केर गौतम न्यायदर्शनक प्रणेता छ्लाह। गौतमक गाम एहि परिसर सँ सटले अछि। कालिदास (उच्चैठ ), ज्योतिरीश्वर (पाली), विद्यापति, चन्द्रकला (बिस्फी), साहेब राम दास (कुसमौल), वैद्यनाथ मिश्र विद्यासिन्धु (बसैठ), ललित (चानपुरा), सुभद्र झा (नागदह), शंकपिया (लोरिका), ज्योत्स्ना चन्द्रम (शिवनगर) आदि संस्कृतमैथिलीक लेल अतुलनीय काज कए गेल छथि। जे लोकनि एखनो सक्रिय रहि भाषा ओ साहित्यक भण्डारकेँ अपन रत्नसँ भरि रहल छथि ताहि मे प्रमुख छथि देवेन्द्र झा (चानपुरा ), विभूति आनंद, (शिवनगर), बुद्धिनाथ झा, (नागदह), उदय चन्द्र झा विनोद, सुशील (दुलहा), वीरेंद्र मल्लिक (परसौनी) आदि वरिष्ठ साहित्यकारसँ लऽ जयनारायण गिरि, आशीष अनचिन्हार, गोपाल झा अभिषेक, रुपेश त्योंथ, मानोज शाण्डिल्य, शारदा झा, मैथिल प्रशांत, अक्षय आनंद सन्नी आदि। एहि प्रसंग पहिल खेपमे हम बिसफी प्रखंडक लेखन पर संक्षिप्त चर्च करब।

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बिसफी प्रखंडक लेखनमे सभसँ पहिल नाम अबैत अछि विश्वप्रसिद्ध याज्ञवल्क्यक। हिनकर आश्रम कमतौल लग जगवनमे छलनि। एखनो एहि गाँमे अवस्थित एगो विशाल बड़ गाछकें हिनका कालक मानल जाइत अछि आ तकरे लगीच हिनकर आश्रमक स्थान मानल जाइत अछि। याज्ञवल्क्य शुक्ल यजुर्वेदक रचनाकार छथि। संगहि शतपथ ब्राह्मण, बृहदारण्यकोपनिषद, याज्ञवल्क्य स्मृति आदिक यशस्वी रचनाकार सेहो छथि। सनातन धर्मक व्यवहारादिकेँ स्थिर करबामे हुनक पैघ योगदान छनि। ऋषिगणमे हुनक स्थान सर्वोपरि छनि।

 

 

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एहि क्षेत्रमे दोसर महत्त्वपूर्ण नाम छथि विद्यापति। बिसफीमे एखनो हिनकर डीह ओ कुलदेवीक मन्दिर छनि। कइएक राजाक आश्रय पेनिहार बहुमुखी प्रतिभासँ संपन्न विद्यापति ठाकुर संस्कृत, अवहट्ठ ओ मैथिलीमे विभिन्न विषयक बहुत रास रचना केलनि। हिनक रचनामे तत्कालीन समाज, राज आदिक संगहि ऐतिहासिक ओ भौगोलिक तत्व सेहो प्रचुर मात्रामे विद्यमान अछि। विद्यापतिकें प्रसिद्धि मैथिली पदावलीसँ भेटलनि। पदावलीक प्रभाव मिथिलासँ बाहर बंगाल ओ असाम धरि पड़ल आ ओ एहि सभ ठाम परवर्ती रचनाकार लोकनिक आदर्श काव्यगुरु भए गेलाह। विद्यापति 600 बरखक बादो आइयो ओहिना कण्ठहार बनल छथि। विश्वक प्राय: एकमात्र रचनाकार छथि जिनकर एकहि गोट रचना 3-3 टा भाषाक पाठ्यक्रममे पढ़ाओल जाइत अछि। हिनकर पोथी सभ एना अछि:-
(1) पदावली, (2) कीर्तिलता, (3) कीर्तिपताका, (4) दान वाक्यावली, (5) लिखनावली, (6), गोरक्षविजय, (7) दुर्गाभक्ति तरंगिणी, (8) भू परिक्रमणम , (9) पुरुष परीक्षा, (10) शैव सर्वस्वसार, (11) गंगा वाक्यावली, (12) विभागसार , (13) शैव सर्वस्वसार प्रमाणभूत संग्रह, (14) मणिमंजरी (15) गयापत्तलक, (16) वर्षकृत्य आदि।

विद्यापतिक बाद हिनक पुतहु चन्द्रकलाक चर्चा रचनाकारक रूपें भेटैत अछि। मुदा किछु श्लोक छाड़ि कोनो पोथीक नाम कतहु नहि अभरल अछि एखन धरि।

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हिनका बाद सोझे आबि जाए पड़ैत अछि उदयचन्द्र झा ‘विनोद’ (दुलहा गामक वासी, सम्प्रति रहिकामे बसल) लग। ई मूलत: कवि छथि। ओना कथा, नाटक, समीक्षा, निबंध आदी सेहो प्रकाशित छनि। कविताक हिनकर अप्पन शैली छनि जे सहजहि चीन्हल जा सकैत अछि। शब्द, विन्यास, प्रवाह, प्रतीक, बिम्ब आदिक स्तर पर एकदम फराक हिनकर कविता कथ्यक स्तर पर खूब स्पष्ट रहैत अछि जकरा साधारण पाठक सेहो सहजतासँ बुझि जाइत अछि। (1) संक्रांति, (2) धुरी, (3) मौसम अयला पर, (4) एहना स्थिति मे, (5) भरि देह गौरा, (6) एहि जनपद मे, (7) दोहा तीन सय दू, (8) कहलनि पत्नी, (9) सहरजमीन, (10) अपक्ष, (11) प्रश्नवाचक, (12) अथ उत्तरकथा, (13) इन्दिरा आदि हिनकर प्रकाशित कविता संग्रह छनि। जखन कि- जाँत (कथा संग्रह) आओर उदास गाछक वसंत (नाटक) सेहो प्रकाशित छनि। विनोद जी मैथिलीक सम्मानित ओ महत्वपूर्ण रचनाकार छथि। हिनकर एकटा हिंदी कविताक संग्रह सेहो प्रकाशित छनि- हाशिये पर मूल्य। विनोद जी किछु मैथिली पत्रिकाक सफल सम्पादन सेहो केने छथि, जेना – माटिपानि, खोज खबरि, लोकवेद, घर बाहर, लोकभूमि आदि। कइएक टा पुरस्कार ओ सम्मानसँ सम्मानित विनोद जीकेँ प्रतिष्ठित साहित्य अकादेमी पुरस्कार कविता संग्रह “अपक्ष”क लेल 2011 इस्वीमे भेटलनि।

 

बेनीपट्टी परिसरक लेखन (2)

Imageप्रसिद्ध कथाकार ओ उपन्यासकार सुशील (सुशील चन्द्र झा) सेहो दुलहा गामक छथि। हिनकर कर्मभूमि कोलकाता रहल छनि। हिनकर उपन्यास सभ मैथिलीमे बेस चर्चित ओ प्रशंसित रहल अछि। अपन कथ्य, शिल्प, वर्णन विन्यास, वाक्य विन्यास, शब्दक चयन , पात्रक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण आदिमे ई सिद्धहस्त छथि। ई विशेषता सभ हिनकर कथामे सेहो उपस्थित रहैत अछि। हिनकर एगो ऐतिहासिक नाटक सेहो छनि आ कैयेक कारणे ओहो विशिष्ट छनि। सुशील जी कम्मे लिखने छथि, मुदा विशिष्ट लिखने छथि। सुशील जी निखिल भारतीय मैथिलीभाषी छात्रसंघ द्वारा आहूत मैथिली आन्दोलनमे मैथिली मुक्तिमोर्चा, कोलकाता दिससँ सम्मिलित भेल रहथि आ आन्दोलनमे 9 दिसंबर,1980 केँ पटनाक सड़क पर बिहार पुलिसक हाथें मारि सेहो खेने छथि, हिनकर कपार फुटि गेल रहनि। सुशील जीक प्रकाशित कृति सभ एहि तरहें अछि:-
1) घड़ारी – उपन्यास
2) गामवाली – उपन्यास
3) भामती – नाटक
4) अस्मिता – कथा संग्रह

 

Imageवीरेंद्र मल्लिक परसौनीक निवासी छथि। हिनक कर्मभूमि कोलकाता रहल छनि। ओना सम्प्रति दिल्ली रहैत छथि। ई मूलतः कवि छथि। अग्निजीवी पीढ़ीक कवि लोकनिमे हिनक विशेष स्थान छनि। सर्वहाराक चिन्ता , मानवताक विकास, समतामूलक समाजक स्थापना, जड़ताक विरोध आदि हिनक कविताक विशिष्टता छनि। मल्लिक जी निबंध, आलोचना ओ अनुवादमे सेहो दक्ष आ महत्वपूर्ण छथि। ताहि संगहि ई कइएक गो पत्रिकाक कुशल सम्पादन सेहो केने छथि, जाहिमे मैथिलीक पहिल मिनी पत्रिका “मि•” सेहो सम्मिलित अछि। हिनक प्रकाशित कृति नीचाँ अछि:-
1) अग्निशिखा – कविता संग्रह
2) प्रेम सौंदर्य विधायक विद्यापति – शोधग्रंथ
3) नाटक आ रंगमंच : प्रकृति आ प्रतिमान – आलोचना
पत्रिकाक सम्पादन:- आखर, मि•, अग्निपत्र, हिंदीमे अभिनय संवाद (नाट्य विषयक पत्रिका)
अप्रकाशित कृति : – (1) प्रथम पुरुष (काव्यालोचना), (2) विभूति विमर्श(शोधपरक साहित्यिक परिचय), (3) अथातो काव्य जिज्ञासा (कविता संग्रह), (4) मिस लाल (कथा संग्रह), (5) धिया पुताक नाम आदि । (6) व्यक्तिगत ( लक्ष्मीनारायण लालक हिंदी नाटकक मैथिली अनुवाद), (7) आधा अधूरा, (8) अषाढ़क एक दिन (दुनू मोहन राकेशक हिंदी नाटकक मैथिली अनुवाद) आदि।

नूनूर झा नूनू (भोजपण्डौल/भोजपरौल) मैथिलीमे धर्म ओ अध्यात्म विषयक लेखनमे लागल रहलाह अछि। देखल जाए तऽ एहि विषयक प्रसंगमे मैथिलीमे बड़ थोड़ लिखल गेल अछि। जे किछु लिखलो गेल अछि ताहिमे कीर्तन, भजन आदि बेसी अछि। एहना स्थितिमे हिनकर लेखन मैथिलीक हेतु महत्वपूर्ण अछि। हिनकर प्रकाशित कृति सभ निम्न प्रकारें अछि:-
1) दुर्गायन (सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशतीक मैथिली पद्यानुवाद)
2) स्तुति नवनीत (पंचदेवताक नाम स्तुति)
3) संक्षिप्त दुर्गार्चना (दुर्गापूजाक संक्षिप्त पद्धति एवं दुर्गा सप्तशतीक विनयांश)
4) गोविंदायन ( सम्पूर्ण भगवद्गीताक मैथिली पद्यानुवाद)
5) शंकर लहरी
6) हनुमान सत्तक
7) स्मारिका : भोजपंडौल दुर्गास्थान स्वर्णजयन्ती वर्ष 2001
8) सीता सत्तरी
9) विष्णु सहस्रनाम
10) रुद्रायण ( मैथिल सम्प्रदाय शतरुद्रीक मैथिली पद्यानुवाद)
हिनक अप्रकाशित कृति :-
1) सत्यायन (सत्यनारायण व्रतकथा)
2) द्वैपायन (व्यास कथा मैथिली पद्यमे)
3) चंडी सहस्रनाम
4) शिव सहस्रनाम
5) राम हृदय एवं राम गीता (अध्यात्म रामायण पर आधारित पद्यबद्ध)

बेनीपट्टी परिसरक लेखन (3)

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श्याम दरिहरे बरहा गामक वासी छथि। ई पुलिस सेवाक अधिकारी छलाह आ तैं बिहार ओ झारखंडक विभिन्न ठामसँ होइत अवकाश ग्रहणक बाद सम्प्रति पटनामे रहैत छथि। ई कथा ओ कविता दुनू विधामे लिखै छथि, मुदा कथा साहित्यक हेतु विख्यात छथि। नव-नव विषय पर नीक ओ प्रभावी कथाक रचना करैत छथि। व्यावहारिक शब्दक प्रयोग, विशिष्ट वाक्य विन्यास, चित्रात्मक वर्णन शैली, पात्रक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण आदि हिनक कथा साहित्यक खास विशेषता छनि। हिनक दू खण्डमे प्रकाशित उपन्यास बेस प्रशंसित भेल छनि। कथा संग्रह, बड़की काकी ऐट हॉटमेल डॉटकाम, पर हिनका साहित्य अकादेमी पुरस्कार भेटल छनि। हिनक प्रकाशित पोथी सभ निम्नवत अछि:-
1) सरिसो मे भूत, कथा संग्रह
2) बड़की काकी ऐट हाॅटमेल डॉटकाम, कथा संग्रह 3) घुरि आउ मान्या, उपन्यास, प्रथम खंड
4) जगत सब सपना, उपन्यास, दोसर खंड
5) क्षमा करब हे महाकवि, कविता संग्रह
6) मन का तोरण द्वार सजा है, हिन्दी कविता संग्रह
7) हमर जनम किए भेलै हो रामा, उपन्यास
8) गंगा नहाना बाकी है, हिन्दी कविता संग्रह आदि।

Imageआशीष अनचिन्हार बिसफी प्रखंडक सिंगिया केर घाट टोलक वासी छथि। ओना ई गाम सामान्यत: घाट भटरा कहबैत अछि। हिनकर कर्मभूमि पहिने कोलकाता, फेर दिल्ली आ सम्प्रति गोहाटी छनि। गजलकेँ मैथिलीमे एकटा नव दिशा देनिहार आशीष जी गजल पर शोधपरक वस्तु सामग्री लिखैत रहलाह अछि, मैथिली गजलमे नव प्रयोग करैत रहलाह अछि आ मैथिली गजलक क्षेत्रमे नव रचनाकार लोकनिकेँ प्रोत्साहित करैत रहलाह अछि। ई कविता सेहो बेस नीक लिखैत छथि। हिनक कृति सभ एहि तरहें अछि :-
1) अनचिन्हार आखर (गजल, रुबाइ ओ कता संग्रह), पहिने इ-भर्सन प्रकाशित आ तकर बाद 2011 मे श्रुति प्रकाशनसँ प्रकाशित
2) मैथिली गजलक व्याकरण ओ इतिहास (इ-भर्सन प्रकाशित),
3) मैथिली वेब पत्रकारिताक इतिहास (इ-भर्सन प्रकाशित)
हिनका द्वारा गजेन्द्र ठाकुरक संगे सह-संपादित पोथी :-
1) मैथिली गजल : आगमन ओ प्रस्थान बिंदु (गजलक आलोचना-समालोचना-समीक्षा), इ-भर्सन प्रकाशित
2) मैथिलीक प्रतिनिधि गजल (1905सँ 2016 धरि), इ-भर्सन प्रकाशित।

वृत्तिसँ चिकित्सक जय नारायण गिरि “इन्दु”
धजबा, नूरचक(बिसफी)क वासी छथि आ गामहि पर रहैत छथि। साहित्यिक रचनाक संगहि गिरि जी चिकित्सा विषयक रचना करैत छथि। हिनकर प्रकाशित कृति छनि :-
1) प्राथमिक चिकित्सा (चिकित्सा शास्त्र) भाषा-हिन्दी , प्रकाशित-1971
2) मूत्र विवेचन ( चिकित्सा शास्त्र) भाषा-हिन्दी, प्रकाशित-1977
3) मध्यान्तर (मैथिली काव्य संग्रह) प्रकाशित-2015
विभिन्न मैथिली पत्र-पत्रिका, विभिन स्मारिका आदिमे कविता, लेख आदि प्रकाशित ओ आकाशवाणी पटना एवं दरभंगा द्वारा कविता ओ लेखक प्रसारण।
हिन्दीमे विभिन्न पत्र-पत्रिका (आर्यावर्त, जनशक्ति, पाटलिपुत्र टाइम्स, प्रभात खबर, चेतक, मधुबनी टाइम्स, लोकशक्ति, शुचि, स्वास्थ्य, आयुर्वेद-विकास, सचित्र आयुर्वेद, मारुति संजीवन, गोस्वामी, अनुभूत योगमाला, रत्नाकर)मे लेख एवं शोधपत्र प्रकाशित।
“अनुभूत योगमाला “(इटावा)क मैथिली अंक, “सुधानिधि” के चर्म रोगांक, “धनवंतरि” (अलीगढ़)के “आयुर्वेदिक सूचिकाभरणांक” , “आयुर्वेदिक कैपसूल अंक”, “प्रदर रोगांक” एवं “मूत्र विवेचनांक” केर सफल ओ यशस्वी सम्पादन कएने छथि।

गोपाल झा ‘अभिषेक’ मुरलियाचक गामक छथि। हिनक कर्मक्षेत्र मधुबनी छनि। ई मौलिक रूपें कवि छथि। मानवता, मनुक्खक कुण्ठा, सन्त्रास, जिजीविषा, समकालीन विडम्बना, प्रकृति आदि विभिन्न विषय पर केंद्रित हिनक कविता सरल शब्द, सहज प्रवाह ओ प्रसाद गुणसँ परिपूर्ण आओर प्रभावी होइत अछि। हिनक प्रकाशित कृति सभ एहि तरहें अछि:-
1) एक आदिम गन्ध की तलाश (हिंदी कविता संग्रह),
2) कइएक अर्थ मे (मैथिली कविता संग्रह),
3) रूपनगर (मैथिली नाटक, प्रकाशनाधीन)।

#बेनीपट्टी परिसरक लेखन (4)

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बरहा गामक प्रसिद्ध राजनेता भोगेन्द्र झामे आन-आन मारिते रास गुण ओ विशेषताक संगहि एगो ईहो विशिष्टता रहनि जे ओ लेखक आ कवि सेहो छलाह। विभिन्न विषय पर हिंदी, अंग्रेजी ओ मैथिलीमे प्रकाशित हुनक पोथी सभ निम्नलिखित अछि :-
1) भारत का स्वतन्त्रता संग्राम, हिंदी
2) ऋण मुक्ति अभियान, हिंदी
3) Multipurpose High Dams, हिंदी, अंग्रेजी, मैथिली
4) River Management, अंग्रेजी
5) Rashtriya Swayam Sewak Sangh Idiological X-rayed, अंग्रेजी
6) Ancient Indian Tradition and Communism, अंग्रेजी आ मैथिली
7) भारतीय दर्शन क ख ग घ, मैथिली
8) क्रांतियोग आदि

 

Imageअशोक झा सेहो बरहा गामक वासी छथि। हिनक कर्मभूमि कोलकाता छनि। ई कइएक गोट नाटक लिखने छथि। ओना कविता ओ निबंध आदि सेहो छनि। हिनक प्रकाशित पोथी एना अछि :-
1) जीबैत लाश, नाटक
2) कमउआ पूत, नाटक
3) बंगला गल्प संकलन, बंगला सँ मैथिली अनुवाद
4) इजोरिया अवस्से हेतै, कविता संग्रह
5) सुनगैत सपना, काव्य संग्रह
प्रेसस्थ :- बिर्रो, नाटक
अप्रकाशित:- (1) द्वन्द्व, (2) भोरका मेघ, (3) मैयाँ, (4) साँच सँ बेसी झूठ, (5) सर्विस वाली कनियाँ ( सभ नाटक ), (6) हम नहि मानब, (7) सौभागवती भव:, (8) कनी आर दिन (उपन्यास) आदि।

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सतीश मेहता ‘साजन’ जी इटहर गामक वासी छथिमधुबनीमे रहैत छथि। नीक गीत, गजल ओ कविता लिखै छथि। हिनक रचना सहज होइत अछि जे पाठक पर अपन छाप छोड़ैत अछि। हिनक प्रकाशित कृति मैथिलीमे अछि जे एहि तरहें अछि :-
1) किछु बात अनसोहाँत, कथाकाव्य
2) सजना सिनेहिया, गीत – गजल।

 

 

गौतम राय घूरन बेलौंजा गामक वासी छथि। ई मैथिली ओ हिंदीमे गीत, गजल, कविता, लघुनाटिका आदि लिखैत छथि। पत्र-पत्रिका सभमे छपैत रहैत छथि। किछु लघुनाटिका प्रकाशित छनि। मुदा तकर शीर्षक ओ भाषाक सूचना हम प्राप्त करबासँ एखन धरि असमर्थ छी।

हिनका सभक अतिरिक्त आओर बहुतो गोटे लेखनमे सक्रिय रहलाह अछि, मुदा कोनो कृति प्रकाशित हेबाक सन्धान नहि भेटि सकल। भोजपंडौलक उदयानंद झाक बहुत रास मैथिली कथा ओ निबंध सभ विभिन्न पत्र-पत्रिका आ आकाशवाणी दरभंगासँ प्रकाशित- प्रसारित भेल अछि। तहिना घाट भटराक देव नारायण झा ‘दयालु’कमल नारायण झाक नाम एहने महत्वपूर्ण मैथिली कविमे छनि। भेटल जंतबक अनुसार कमल नारायण झा खगड़ियासँ प्रकाशित मैथिली पत्रिका ‘हिलकोर’ केर प्रबंध सम्पादक सेहो रहलाह। एही गामक सुभाष चन्द्र झा ओ गणेश चन्द्र झा सेहो मैथिलीहिंदीमे कविता आ गद्य लिखैत छथि। मुरलियाचक केर वासी ओ कोलकाता प्रवासी विश्वम्भर ठाकुरक रंगमंचसँ संबंधित कतिपय आलेख प्रकाशित छनि। ओही गामक कोलकाता प्रवासी प्रमोद ठाकुर सेहो नाटक लिखने छथि आ जे मंचित छनि। मुरलियाचकक विनोद कुमार झाक कतिपय मैथिली गद्य रचना प्रकाशित छनि। भोजपंडौलक वासी ओ कोलकाता प्रवासी लखनपति झाक कविता ओ बालसाहित्य सेहो पत्र-पत्रिकादिमे प्रकाशित होइत रहैत छनि। हिनका सभक अतिरिक्त परसौनीक शफी अहमद इलियासी, शाहबाज दस्तगीर, शाहजहाँ दिनागिर, कामोद साफी, संजय कुमार, पवन कुमार, कुमारी दिपाली झा आदिक हिंदी रचना सभ तथा संगीता कुमारी (गेनौर), सीमा झा (मुरलियाचक), राजीव कुमार (बिसफी) आदिक हिंदी रचना सभ सेहो छिटपुट प्रकाशित हेबाक सूचना अछि। बिसफी प्रखंडक शैल झा, भीम कुमार झा, महेंद्र नारायण कर्ण, शिवशंकर राय, आर के भारती, विजय चन्द्र घोष, प्रेमचन्द्र झा, मेंही लाल कुशवाहा, मुकेश झा, मुन्नी मधु, विजय लाल यादव मैथिल, विनोद कुमार सिंह, रवींद्र नाथ शर्मा, लक्ष्मीकांत गिरि, पन्ना लाल राय, शशि कुमार भारती, रंजू देवी, चन्द्रवीर कुमार यादव, रामप्रिय पांडेय, राजेन्द्र यादव, नागेश्वर कुँवर, संजीता रानी, प्रणय कुमार मिश्र, ललित कुमार, श्याम कृष्ण यादव, कल्याण भारती, पंचदेव, राजेश कुमार सिंह, सुरेश प्रसाद, सुजाता कुमारी, निराला निकुंजेश्वर आदि लोकनि सम्मिलित रूपें मैथिली ओ हिंदीमे गद्य आ पद्यमे रचना करैत छथि। विशेष उल्लेखनीय अछि जे एहि क्षेत्रक रीता झा संस्कृतमे रचना करैत छथि। इश्तियाक अहमद, सुलतान शमशी, अहमद हुसैन, एम के अरशद नूरचकवी, मो• इमरान, सैयद सादिक इमाम, इफ्तेखार अकबर आदि उर्दूमे सम्मिलित रूपें गद्य ओ पद्यमे लिखै जाइ छथि। मैथिली अकादमी, पटनामे रहथि परसौनी-मुरलियाचक निवासी महारुद्र झा। हिनक बहुतो लेख-संस्मरण विभिन्न पत्रिका मे छपल छनि ।

उपरोक्त रचनाकार लोकनिक अतिरिक्त बिसफी प्रखंडमे निश्चिते आओर बहुत रास लोक हेताह जे संस्कृत, उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी आदि भाषामे सेहो महत्वपूर्ण रचना सभ केने हेताह आ एखनो एहन कतेको लोक रचनाशील हेताह, मुदा तिनका हम जोहि नहि सकलहुँ।

#बेनीपट्टी परिसरक लेखन (5)

एहिसँ पूर्व चारि खेपमे बेनीपट्टी परिसरक बिसफी प्रखंडक लेखन पर चर्च कएल। आब आरम्भ करैत छी बेनीपट्टी प्रखंडक चर्च।

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बेनीपट्टी प्रखंडमे ज्ञात लेखनक इतिहास कालिदाससँ आरम्भ होइत अछि। संस्कृत साहित्यक तऽ सहजहि जे कालिदास विश्व साहित्यक एकटा विरल प्रतिभा छथि। ई राजा विक्रमादित्यक नवरत्नमेसँ एक रहथि। हिनकर विक्रमोर्वशीयम् नाटकमे मैथिली सम्वादक सेहो प्रयोग भेल अछि। हिनकर नाटक सभ विश्वक श्रेष्ठ नाटक मानल जाइत अछि। संसार भरिक अनेक महान विद्वान ओ साहित्यकार लोकनि हिनकासँ बेस प्रभावित भेल छथि। ई उच्चैठ केर कालिदास डीह नामे प्रख्यात स्थल पर स्थित गुरुकुल किंवा विद्याश्रममे शिक्षित भेल छलाह। निश्चित रूपें हिनक जन्मस्थान एहि ठामसँ बेसी दूर नहि रहल हेतनि। हिनका संबंधमे अनेक लोककथा कहल सुनल जाइत रहल अछि। कालिदासक रचना :-
1) अभिज्ञान शाकुंतलम, नाटक
2) विक्रमोर्वशीयम्, नाटक
3) मालविकाग्निमित्रम, नाटक
4) रघुवंशम, महाकाव्य
5) कुमारसम्भवम, महाकाव्य
6) मेघदूतम, खण्डकाव्य
7) ऋतुसंहार, खण्डकाव्य आदि। कालिदासक प्रमुख रचना इएह सात गोट मानल जाइत अछि। मुदा किछु विद्वान हुनक रचनाक संख्या चालीस टा मानैत छथि जाहिमेसँ उपर्युक्तक अतिरिक्त किछु प्रमुख अछि :-
8) उत्तर कालामृतम्,
9) श्रुतबोधम्,
10) शृँगार तिलकम्,
11) शृँगार रसाशतम्,
12) सेतुकाव्यम्,
13) कर्पूरमंजरी,
14) पुष्पबाण विलासम्,
15) श्यामा दंडकम्,
16) ज्योतिर्विद्याभरणम् आदि। ओना बहुत रास विद्वान ई समस्त रचना एक्कहि कालिदासक छनि, ताहि पर एकमत नहि छथि। हुनका सभक मतेँ कालिदासक नामसँ एकाधिक रचनाकार भेल छथि आ ई समस्त रचना एकसँ अधिक फराक-फराक कालिदासक अछि।

ज्योतिरीश्वर ठाकुर एहि क्षेत्रक दोसर महान रचनाकार छथि जिनका पर समस्त भारतीय साहित्यकेँ गौरव छै। ई पाली गामक छलाहविद्यापतिसँ पहिने भेल रहथि। हिनक विश्वप्रसिद्ध कृति “वर्णरत्नाकर” एक अद्भुत ग्रंथ अछि। संस्कृतक बाद समस्त आर्यभाषाक ई पहिल गद्यग्रंथ मैथिलीमे अछि। विषयक विविधता, विवरणक व्यापकता ओ वर्णनशैली आदिक दृष्टिएँ ई विलक्षण ग्रंथ थिक। तहिना हिनक धूर्तसमागम नाटकक प्रासंगिकता आइयो ओहिना बनल अछि। हिनक रचना सभ थिक :-
1) वर्णरत्नाकर, विभिन्न विषय पर गद्य लेख
2) धूर्तसमागम, नाटक, संस्कृत – मैथिली
3) पंचशायक, कामविषयक, संस्कृत।

साहेबराम दास कुसमौल केर वासी रहथि आ जे पचाढ़ी स्थानक महंथ भेलाह। ई सिद्ध सन्त रहथि। हिनकर लिखल अनेक पद मैथिली ओ सधुक्कड़ी भाषामे प्रचलित अछि। यद्यपि हिनक जीवनी प्रकाशित छनि, धरि हिनकर लिखल पद सभक संकलन ओ प्रकाशन एखन पर्यंत नहि भेल अछि।

वैद्यनाथ मिश्र ‘विद्यासिन्धु’ बसैठ गामक वासी छलाह। मैथिलीमे कथा लेखनक आरम्भिक कालक दोसर-तेसर क्रमक लेखकक रूपें प्रतिष्ठित ई कविता ओ निबंध सेहो नीक आ खूब लिखैत छलाह। मिथिला भाषा व्याकरण केर रचना आरम्भ केने रहथि। मैथिली शब्दक संकलन सेहो केलनि। कोलकाता विश्वविद्यालय लेल मैथिली विषयक पाठ्यक्रमक प्रसंगमे ब्रजमोहन ठाकुर हिनकासँ सेहो भेंट केने छलखिन। ई ज्योतिष ओ तन्त्रक नीक ज्ञाता छलाह। लोकमन महाल अमरचंद्र पाठशाला, कानपुरमे पढ़ौनी करबैत छलाह। कानपुरक लक्ष्मीपत सिंघानियाक वंशज आइयो कुलगुरुक रूपें हिनकर पूजा करैत छनि। हिनकर निम्न एक गोट कथासंग्रहक प्रकाशनक जंतब भेटैत अछि :-
1) गप्प सप्पक खड़िहान

#बेनीपट्टी परिसरक लेखन (6)

Imageचानपुरा गामक ललित (06/04/1932 – 14/04/1983) मैथिली कथा साहित्यकेँ नव मोड़ देनिहार महत्वपूर्ण कथाकार छलाह। हिनकर मूल नाम छलनि ललितेश मिश्र। ई समयक खगताकें अकानैत साहित्यक भविष्यक बाट बनओलनि। प्रगतिशील विचारक ललित बहुत कम लिखलनि मुदा, जे लिखलनि से सुविचारित ओ शोधल लिखलनि। हिनका बिना मैथिली कथाक चर्चा नहि भए सकैत अछि। हिनक 40 टा कथा, एगो उपन्यास, किछु संस्मरण आ एकटा एकांकीक चर्चा भेटैत अछि। हिनक निम्नलिखित पोथी प्रकाशित छनि :-
1) प्रतिनिधि, कथासंग्रह
2) पृथ्वीपुत्र, उपन्यास
एकर संगहि विभूति आनंदक संकलन-सम्पादनमे “ललित समग्र” सेहो हिनक लेखनक संकलन अछि।

सुभद्र झा नागदह गामक वासी छलाह। ओ प्रख्यात भाषा वैज्ञानिक आ बहुभाषाविद रहथि। अँग्रेजी, संस्कृत, मैथिली, हिंदी, बँगला, पाली, प्राकृत, चीनी, फ्रेंच, जर्मन आदिक तऽ ओ आधिकारिक विद्वान छलाह, जे ताहि संगहि आन कतेको भाषाक ज्ञाता छलाह। मिथिला के कहय जे ई समस्त भारत सहित आनो देशमे भाषा वैज्ञानिक रूपें प्रख्यात रहथि। भाषाशास्त्र केर आधार पर मैथिलीकेँ भाषाक रूपें स्थापित करबामे आ सर्वस्वीकार्य करयबामे हिनकर पैघ योगदान छनि। भाषा विज्ञानक ग्रंथक संगहि मैथिली साहित्यमे हिनकर नीक योगदान छनि। ई मैथिलीक शब्दक संकलन सेहो केने रहथि। मैथिलीमे मौलिक लेखनक संगहि अंग्रेजी आ संस्कृतमे ई बहुत महत्वपूर्ण काज कएलनि। हिनक प्रकाशित कृति एहि तरहें अछि :-
मौलिक लेखन —
1) The Formation of the Maithili Language,
2) The Songs of Vidyapati,
3) प्रवास जीवन, यात्रा साहित्य
4) यात्रा प्रकरण शतक, यात्रा साहित्य
5) नातिक पत्रक उत्तर, पत्र साहित्य
6) मैथिली व्याकरण मीमांशा
सम्पादित पोथी —
1) विद्यापति गीत संग्रह
2) मैथिली : वृत्त ओ परिधि
अनूदित पोथी :–
जर्मन भाषासँ अँग्रेजीमे अनुवाद —
1) A Grammar of the Prakrit Languages, मूल- रिचर्ड पिशेल
2) A History of Indian Literature, Vol – III, मूल- एम विंटरनीज
3) History of Sanskrit Philology, मूल- एच विंडिश
फ्रेंच भाषासँ अँग्रेजीमे अनुवाद —
1) अभिधर्मकोष ( ई मूल पोथी चीनी भाषामे अछि।)
चीनी भाषासँ अंग्रेजीमे अनुवाद —
1) बुद्धदेव
जर्मन भाषासँ संस्कृतमे अनुवाद —
1) प्राकृत व्याकरण, मूल – रिचर्ड पिशेल
2) अल्तन्दीशे ग्रामेटिक ( लेखक – वाकर्नागेल ) केर अनुवाद

शिवशंकर झा ‘कान्त’ बेनीपट्टीक लगीच सरिसो गामक वासी छलाह। वृत्तिसँ प्राध्यापक कान्त जी कथा, कविता, निबंध आदि लिखैत छलाह। हिनक शोधग्रंथ एखनो पढ़ाओल जाइत अछि। हिनक निम्न पोथी सभ प्रकाशित अछि :-
1) मैथिली महाकाव्यक उद्भव ओ विकास (१९६८)
2) चंचल कावेरी, कथा संग्रह
3) तंत्रनाथ झा, मोनोग्राफ
4) मैथिली कथाकाव्य, संग्रह, संग सम्पादन
5) संकलन, निबन्ध संग्रह, संग सम्पादन आदि।

शंकपिया लोरिका गामक वासी छलाह। हिनक मूल नाम शिवशंकर मिश्र छलनि। ई मैथिलीक प्रसिद्ध साहित्यकार छलाह। मुख्यतः ई काव्य विधामे लिखैत रहथि। गीत ओ कवितामे सिद्धहस्त छलाह। हिनक कविता गेय ओ छन्दयुक्त होइत रहनि। मंच पर ई कविताक सस्वर पाठ करैत छलाह आ खूबे लोकप्रिय रहथि। ई कइएक टा नाटक सेहो लिखने रहथि। हिनक प्रकाशित कृति अछि :-
1) पुलिस चालीसा,
2) कंगना, नाटक

#बेनीपट्टी परिसरक लेखन (7)

GirishChandraगिरीश चन्द्र शिवनगर गामक वासी आ
मैथिलीक एकांत लेखक रहथि। स्थानीय इतिहास लेखनमे अपन गामक इतिहास लिखि ई उल्लेखनीय काज केने छथि। ई ओशोभक्त छलाह। हिनक एखन धरिक प्रकाशित पुस्तक अछि :-
1) चलैत रहू हे मोन
2) मधुर विद्यापति भान
3) शिवनगर गाम-गाथा
4) पूर्व जन्म हम देखल साधो
एकर अतिरिक्त अपूर्ण आध्यात्मिक आत्मकथा आ लगभग दू दर्जन निबंध प्रकाशित मुदा असंगृहीत छनि।

 

 

Imageज्योत्स्ना चन्द्रम केर नैहर गरुआरा, समस्तीपुर आ सासुर शिवनगर रहनि। हिनक पिता मैथिलीक प्रसिद्ध साहित्यकार मार्कंडेय प्रवासी छलखिन। अस्तु, साहित्य हिनका विरासतमे भेटल छलनि। संगहि जीवनसंगी भेटलखिन प्रसिद्ध साहित्यकार विभूति आनंद। आ से संयोग बुझू सोनामे सुगंध। बेनीपट्टी परिसरमे विद्यापतिक पुतहु चन्द्रकलाक बाद महिला लेखनमे इएह अभरै छथि से विशेष उल्लेखनीय। हिनकर कथा समकालीन समस्या, परिवेश, खगता, आकांक्षा आदि पर बेस महत्वपूर्ण अछि। ई विभिन्न गोष्ठी आदिमे सक्रियतासँ सम्मिलित होइत रहथि। आलेख आ समीक्षा सेहो लिखथि। हिनक कृति सभ एहि तरहें अछि :-
1) झिझिरकोना, कथासंग्रह
2) स्वप्नगर्भा, कथासंग्रह
3) बोनसाइ, कवितासंग्रह
4) एसगर-एसगर, नाटक
संग सम्पादन :-
1) गीतनाद
2) विद्यापतिक पदावली
पत्रिकाक संग सम्पादन :-
1) अंग मैथिली
2) जखन तखन

 

पण्डित लक्ष्मीनारायण कण्ठ सेहो शिवनगर गामक वासी छलाह। हिनक कर्मभूमि मोजफ्फरपुर रहनि। ई कविहृदय छलाह। हिनक दुइ गोट पोथीक जंतब भेटैत अछि :-
1) गांधी चरित मानस, हिंदी, महात्मा गांधी पर केंद्रित महाकाव्य शैलीक रचना
2) सुभाष चरितम

 

श्रीकृष्णचन्द्र झा (प्रसिद्ध पंडीजी) बेनीपट्टीक वासी छलाह आ गामहि पर रहैत छलाह। ई राधाकृष्णक परम भक्त रहथि। हिंदी ओ सधुक्कड़ीमे प्रचलित भक्तिपदक ई संकलन-सम्पादन केने छलाह जे ” सरस माधुरी “ नामे प्रकाशित अछि।

 

महंथ स्वर्णकार शिवनगरक वासी छलाह। ई मैथिली गीत खूब लिखै छलाह आ तकरा अठपेजी साइजमे संग्रह छपा-छपा खूब बेचै छलाह। हिनक कमैनीक इएह साधन रहनि। हिनक गीत समसामयिक विषय पर आधारित होइत छल आ तैं पाठककेँ बेस पसीन पड़ैत छल। हिनका लोककवि कहल जा सकैए।

 

प्रो. मार्कंडेय शिवनगरक वासी छथि। ई सातम दशकक चर्चित कथाकार छथि । लगभग चारि दर्जन कथा मिथिला मिहिरमे प्रकाशित छनि। एहन महत्वपूर्ण मैथिली कथाकारक संग्रह आयब एखनो बाँकी अछि।

#बेनीपट्टी परिसरक लेखन (8)

देवकांत झा चतरा गामक वासी छथि। कर्मक्षेत्र पटना आ मधुबनी रहलनि। ई बहुभाषाविद छथि। अंग्रेजी, संस्कृत, मैथिली आ हिंदी पर हिनक समान अधिकार छनि। एहि चारू भाषामे समीक्षा, आलेख, कथा आदि विभिन्न विधाक हिनकर बहुत रास रचना छनि। रससिद्धांतक ई विशेषज्ञ मानल जाइ छथि। हिनक प्रकाशित पुस्तक एहि तरहें अछि :–
मैथिली पुस्तक —
1) प्रबंध पीयूष,
2) कथा पीयूष,
3) ललितांजलि, ललित निबंध
4) लेखांजलि, समीक्षा, विद्यापति
5) मैथिली दशरूपक,
6) आधुनिक मैथिली साहित्यक इतिहास,
7) युगचेता विद्यापति- नवजागरणक अग्रदूत
8) कथाकल्प, कथा संग्रह
अंग्रेजी पुस्तक —
1) A History of Modern Maithili Literature,
2) Mahakavi Kalidas & Bhavabhuti
संपादन –
1) मैथिली नाटकक विकास
संग संपादन –
1) प्रबंध पारिजात
संस्कृत व्याकरण —
1) अभिनव इंटर संस्कृत व्याकरण और रचना,
2) संस्कृत व्याकरण सर्वस्वम्
3) अभिनव संस्कृत व्याकरण रत्नाकर
4) अभिनव संस्कृत व्याकरण और रचना
हिंदी पुस्तक —
1) प्रसाद के नाटकों पर संस्कृत नाट्यसाहित्य का प्रभाव
2) प्रसाद के नाटकों का रसशास्त्रीय अध्ययन
संस्कृत पत्रिकाक संपादन —
1) भारती,
2) संस्कृत शताब्दिक पत्रिका/बिहार राज्य संस्कृत अकादमी
संस्कृत पाठ्यपुस्तकक संपादन —
संस्कृत भारती – भारती भवन, कक्षा 5 सँ 8 धरिक, संगमे चारि अभ्यासिका सेहो।

 

Imageविभूति आनंद एहि परिसरक शिवनगर गामक छथि। वर्तमानमे ई दरभंगा रहैत छथि। ई कविता, गीत, गजल, कथा, उपन्यास, नाटक आदि विभिन्न विधामे मौलिक लेखन, सम्पादन आदि निरंतर करैत रहलाह अछि। रंगमंच सेहो हिनका प्रिय रहलनि अछि। मैथिली आन्दोलनमे सेहो बेस सक्रिय रहलाह अछि। मुंगेरक वासी रामदेव भावुककें मैथिली लेखनक हेतु प्रेरित करबाक श्रेय हिनका छनि जे मैथिलीक एगो पैघ उपलब्धि मानल जाइत अछि। कहि सकैत छी जे मैथिलीक मौलिक लेखनमे एहि प्रखंडक ई आधुनिक कालक सर्वाधिक सक्रिय ओ निरंतरता बना रखनिहार रचनाकार छथि। हिनक प्रकाशित कृति सभ एहि तरहें अछि :–
1) डेग, सहयोगी कविता संग्रह
2) उपक्रम, कविता संग्रह
3) पुनर्नवा होइत ओ छौँड़ी, कविता संग्रह
4) नेहाइ पर स्वप्न, कविता संग्रह
5) उठा रहल घोघ तिमिर, गजल संग्रह
6) झूमि रहल पाथर-मन, गीत-गजल संग्रह
7) अहाँ नै, ओ दिवस चल गेल, कविता संग्रह
8) प्रवेश, कथा संग्रह
9) खापड़ि महक धान, कथा संग्रह
10) काठ, कथा संग्रह
11) गाम सुनगैत, उपन्यास
12) पराजित-अपराजित, उपन्यास
13) बाबाक एकटा गाम रहनि, उपन्यास
14) अभिनय, सात गोट नाटकक संग्रह —
I) समय-संकेत,
II) तित्तिरदाइ
III) हाली-हाली बरसू
IV) फ्रेम मे बन्द एकटा उखरल फोटो
V) ई महाभारतक कोन पर्व कहौतै ?
VI) आबि गेलै गिरहस !
VII) नाटक शुरू होइत अछि
15) श्री ललित आ हुनक कथा-यात्रा, समीक्षा
16) भाषा-टीका, समीक्षासंग्रह
17) ललित, मोनोग्राफ
18) स्मरणक संग, संस्मरणात्मक समीक्षा संग्रह
19) हरिमोहन झाक रचना-कर्म (शोधग्रंथ)
20) रंगमंचपर नाटक (समीक्षा संग्रह)
21) पीयर रंग पियरगर धरती (गीत संग्रह)
22) एकटा उड़ल फुर्र ( कथा संग्रह)
23) इस्स ! ( लघु प्रेम कथा संग्रह)
24) भक् ( लघु प्रेम कथा संग्रह)
25) पहाड़ आ अन्य कविता (कविता संग्रह)
26) शब्दकेँ नहबैत ( कविता संग्रह)
27) आर्द्धविराम (शोध-समीक्षा संग्रह)
28) खोप सँ बाहर ( कथा संग्रह)
सम्पादित पुस्तक —
1) गीतनाद ( लोकगीत संग्रह)
2) एकटा छला गोनू झा (चरित कथा संग्रह)
3) कथा कहिनी (लोककथा संग्रह)
4) अड़हुल ( महिला लेखिका लोकनिक कथा संग्रह)
5) विद्यापतिक पदावली (गद्यानुवाद ओ समीक्षा सहित)
6) मैथिली कथा साहित्य (निबंध संकलन)
7) प्रो• हरिमोहन झा (अभिनंदन ग्रंथ)
8) भाव-भूमि रसवंत (मूल्यांकन ग्रंथ)
9) ललित समग्र
10) समग्र ज्योत्स्ना
विभिन्न पत्रिकाक सम्पादन/सह सम्पादन :–
(1) लालधूआँ, (2) समाद, (3) माटिपानि, (4) हालचाल, (5) भाखा, (6) भंगिमा, (7) कूस, (8) दैनिक मिथिला मिहिर, (9) अकादमी पत्रिका, (10) जखन-तखन, (11) मैथिली, (12) हाक, (13) अंग मैथिली, (14) मनीषा, (15) जनता आदि।
एकरा सभक संगहि एक दर्जनसँ बेसी विभिन्न सझिया संकलन सभमे निबंध, समीक्षा, कथा, कविता आदि संकलित प्रकाशित।
एहि सभक संगहि विभिन्न विधाक प्राय: एक दर्जन पोथीक पाण्डुलिपि एखनहु अप्रकाशित छनि। आशा कएल जाइछ जे एहिमेसँ फेसबुक डायरी आ किछु उपन्यास जल्दीए सोझाँ आओत।

#बेनीपट्टी परिसरक लेखन (9)

देवेन्द्र झा चानपुराक वासी छथि। हिनक कर्मक्षेत्र मोजफ्फरपुर छनि। समालोचना, आलेख ओ संपादन हेतु ई विख्यात छथि। ई एकटा कुशल अनुवादकक रूपें सेहो प्रतिष्ठित छथि। हिनक कृति सभ एहि तरहें अछि :–
1) विद्यापतिक शृँगारिक पदक काव्यशास्त्रीय अध्ययन, समालोचना
2) लालदास, विनिबंध
3) सुधाकर झा ‘शास्त्री’, विनिबंध
4) राजकमल, विनिबंध
संपादित पोथी —
5) मैथिली साहित्यकार-त्रय,
6) भाषण त्रयी,
7) डॉक्टोरेल थीसिस
संपादित पाठ्य पुस्तक —
8) सप्तपर्णा,
9) कथापुष्प,
10) गद्यसौरभ
संग संपादन पाठ्य पुस्तक —
11)भाषा सरिता
संग संपादन समीक्षा —
12)इतिहास बाजि रहल अछि
बँगलासँ अनूदित पोथी —
13) बदलि जाइछ घरे टा (मूल- रमापद चौधरी),
14) अनुभव (मूल‐ दिव्येन्दु पालित) आदि।

बुद्धिनाथ झा नागदह गामक वासी छथि। अपनेक कर्मक्षेत्र बोकारो रहल अछि। अपने कविता ओ नाटक लिखैत रहल छी। अपनेक लिखल प्राय: बीस टा सँ बेसी नाटकमे अधिकांश मंचित मुदा अप्रकाशित अछि। तुकान्त ओ छन्दबद्ध शैलीक आकर्षण अपनेक कविताक खास विशेषता थिक। अपने बँगला नाटकक मैथिली अनुवाद आ संस्कृतसँ मैथिली अनुवाद केने छी। कथाकाव्य एवं काव्यमय जीवनी सेहो लिखने छी। हेमनिए मे अपनेक महाकाव्य प्रकाशित भेल अछि आ बेस प्रशंसित भऽ रहल अछि। अपनेक कृति सभ एहि तरहें अछि :–
प्रकाशित कृति —
1) ॐ महाभारत, महाकाव्य (कालिदास उच्चैठ प्रकाशन, दिल्ली)
2) अक्षर निर्झर, कविता संग्रह
3) अहिबातक पातिल, नाटक (मैथिली अकादमी पत्रिकामे)
अप्रकाशित कृति :–
1) बमभोला, नाटक
2) दोखी के, नाटक
3) सपनासँ अपना धरि, नाटक
4) हमर महादेव, नाटक
5) बिजली मैना सजना, नाटक
6) उगना महादेव, नाटक
7) सातम घंटी, नाटक
8) जय मैथिली, नाटक
9) भारत भाग्य विधाता, नाटक
10) दानवीर कर्ण, नाटक
11) सत्य हरिश्चंद्र, नाटक
12) आगन्तुक, नाटक (मूल बँगलासँ अनुवाद) आदि
13) बौआ गाम अएलाहे, नाटक
(नाटकक सूची आओर नमहर छनि)
14) अष्टावक्र , जीवनी
15) अष्टावक्र गीता, भावानुवाद
16) इमाम हुसैन, काव्यमय जीवनी
17) वीर बिरसा, काव्यमय जीवनी आदि।

कृष्णचन्द्र झा ‘रसिक’ परुजुआरि (डीह) केर वासी छथि। हिनक कर्मक्षेत्र कोलकाता रहल छनि। नाटकसँ हिनका बेस रुचि रहलनि आ ई नाटक लिखबो केलनि खूब। हिनक नाटक सभ कोलकाता (कोकिल मंच) आ हिनक अपन गाममे मंचित होइत रहलनि अछि। नाटकक अतिरिक्त ई कविता ओ आलेख आदि सेहो लिखैत रहलाह अछि। हिनक कृति सभ एहि प्रकारें अछि :–
प्रकाशित नाटक —
1) विवाह एक नाटक, 1991
2) हमर सपना, 2004
प्रकाशनाधीन —
1) कविता संग्रह
अप्रकाशित किन्तु मंचित नाटक —
1) विवाह एक समस्या, 1980
2) विवाह एक धन्धा, 1990
3) समंध, 1992
4) हमर सलहेश, 1994
अप्रकाशित तथा अमंचित नाटक —
1) प्रेम, 1996
2) हमर तरंग, 2006
3) चलू मिथिला, 2007
4) कालचक्र, 2008
5) ठकहरा, 2011
बाल नाटक, मंचित किन्तु अप्रकाशित —
1) बालक चन्द्रगुप्त, 2017
2) मूइल बिलाड़ि, 2018
3) हमर कन्हैया, 2018
बाल नाटक, अमंचित तथा अप्रकाशित —
1) न्याय, 2018
हिनक किछु आओर नाटक लिखल छनि।

 

#बेनीपट्टी परिसरक लेखन (10)

रवींद्र नारायण मिश्र अड़ेर (डीह टोल)क वासी छथि आ सम्प्रति नोएडामे रहैत छथि। ई कथा, उपन्यास, संस्मरण, कविता, निबंध आदि लिखैत छथि। हिनक प्रकाशित कृति एहि तरहें अछि :-
1 ) भोरसँ साँझ धरि (आत्मकथा)
2) प्रसंगवश (निबंध )
3) स्वर्ग एतहि अछि (यात्रा प्रसंग)
4) फसाद (कथा संग्रह)
5) नमस्तस्यै (उपन्यास)
6) विविध प्रसंग (निबंध संग्रह)
7) महराज (उपन्यास)
8) लजकोटर (उपन्यास)
9) सीमाक ओहि पार, उपन्यास
10) The Lost House, short stories
11) Life is An Art , motivational essays आदि। (पोथी सभक e-version/Printed Version pothi.com/amazon.com पर उपलब्ध अछि।)

कमल मोहन चुन्नू परजुआरि रामनगरक वासी छथि। हिनक मूल नाम कृष्ण मोहन ठाकुर छनि। हिनक कर्मक्षेत्र पटना रहलनि। सम्प्रति सहरसा रहै छथि। समीक्षा, आलेख, गजल, कविता, कथा आदि विभिन्न विधाक साहित्यिक लेखनक संगहि ई संपादन, रंगमंच, संगीत आदिक संग सेहो अनवरत जुड़ल छथि। हिनक प्रतिभा बहुआयामी छनि। मैथिलीक प्रमुख हस्ताक्षर छथि। हिनक कृति सभ एहि तरहें अछि :–
प्रकाशित कृति —
1) नव घर उठे, नाटक
2) चाँगुर , नाटक
3) ऑब्जेक्शन मी लॉर्ड, नाटक
4) निनाद, नाट्यालोचना
पोथीक संपादन —
1) संकीर्तनम्, बँगला
2) युगल विनोद, संस्कृत-हिंदी
3) नवल लीलामृतम्, हिंदी
4) सरस माधुरी, हिंदी
पत्रिकाक संपादन —
1) नवारंभ, कार्यकारी संपादक
2) भंगिमा, संपादक आदि।

मिथिलेश कुमार झा जगति गामक वासी छथि। हिनक कर्मक्षेत्र कोलकाता छनि। ई बाल साहित्य, लघुकथा, कविता, कथा, निबंध, साक्षात्कार आदि विभिन्न विधामे सक्रिय छथि। लोकसाहित्यक क्षेत्रमे सेहो ई काज करैत छथि। हिनक प्रकाशित कृति एना अछि :–
1) टीस, लघुकथा संग्रह
2) सोना आखर, बाल कविता संग्रह
प्रेसस्थ –
1) जाबत धरि सपना अछि शेष, कविता संग्रह
नाटक, मंचित-अप्रकाशित —
1) अन्हरजाली

मनोज शाण्डिल्य नागदह गामक वासी छथि। सम्प्रति हैदराबादमे रहै छथि। युवा कवि लोकनिमे ई महत्वपूर्ण नाम छथि। ई मूलत: कवि छथि। ओना कथा सेहो नीक लिखै छथि। हिंदी ओ अंग्रेजीमे सेहो लिखै छथि। हिन्दीक सझिया संकलनमे कविता प्रकाशित छनि। हिनक प्रकाशित कृति अछि :–
1) सुरुजक छाहरि मे, कविता संग्रह
2) औनायल रातिक भोर, कविता संग्रह

शारदा झा केर सासुर भेलनि नागदह, नैहर धस (भवानीपुर, मधुबनी)। सम्प्रति हैदराबाद रहै छथि। मैथिलीक नव पीढ़ीक ई प्रमुख कवयित्री तऽ छथिहे, बेनीपट्टी परिसरक एखन अग्रणी महिला रचनाकार छथि। ई हिंदी आ अंग्रेजीमे सेहो सक्रिय छथि। हिनक प्रकाशित कृति एना अछि :-
1) प्रेम कविताक बाद, कविता संग्रह, मैथिली
2) बीति जयबाक क्रम मे, कविता संग्रह, मैथिली
3) तेरे खयालों की धूप, कविता संग्रह, हिंदी आदि।
एकर अतिरिक्त हिंदी सझिया संकलनमे कविता ओ मैथिली सझिया संकलनमे लघुकथा प्रकाशित।

 

 

मिथिलेश कुमार झा
जगत, बेनीपट्टी
वर्तमान : कलकत्ता
E-mail : mithileshjha1970@gmail.com

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