भूगोलमे मिथिलाराज कहियाधरि – लालदेव कामत

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भूगोलमे मिथिलाराज कहियाधरि – लालदेव कामत

जगत जननी जगदंबा जानकी महामाया थीकिह। जातेक रामायण संख्याँमे य रामायणक अवलोकन-मनन करैत धारावाहिक टी० वी० पर श्रीमान् रामानंद सागर जीक आयल। आ अहू कोरोना महामारीक लॉक डाउनमे रामायण सीरियल सर्व सुलभ भेल। ताहि लेल हुनकर धन्यवाद अवश्य करैत छी, परंच एकटा कचोट मनमे सदा सर्वदा रहैत अछि: जौ श्री सागर जी एतुका भाषाक (मैथिली) उपेक्षा नहिंकए तत्कालीन जनकपुर मिथिला क जनभाषाक कनेक चर्चा करितथि तँ मैथिली अनुरागीमे उत्साह बढ़ितैक। आओर हमसब जे जानकी नवमी मनाबैत छी, से आरो परिष्कार होइत। सामाजिक दूरीके नीमाहैत कतौह पैघ जमाबड़ा जुनिकरी, मात्रे नैतिक समर्थन करैत अपन पुरान मांग पर अड़ल रही ” मिथिलाराज बनाके रहब ” एहि संकल्पके फेरसँ दोहराबैत जनक सुता जानकी आ हुनक मातृभाषा मैथिली पर संक्षिप्त चर्चा करबा सँ अपनाके एहि अवसर पर रोकि नहिँ सकब।
महर्षि महामुनि वेदव्यासक अध्यात्म रामायण जे ब्रह्मांड पुराणक उत्तर खंडक आख्यान अछि आ संत बाल्मिकिक प्रतिष्ठा भारतवर्षमे आदि कविक रुपमे छैक जे संस्कृतमे रामायण लवकुश जन्मसँ पूर्वहि रचने रहथि। बहुतो इतिहासकार पौलथि जे सबहक रामायणमे रामेक गुणन बादन बेशी भेल छैक, जखनकि पंडित लाल दासक मैथिली रामायणमे सीताक गुणगान बेसी भेलैक। सीता बिनु रामक मर्यादा पुरुषोत्तम होयब कठिण रहैक। भगवतीरुपे जखन राक्षसके लतियबैत दण्डित करैत छथिन, ताहि प्रसंगके दोसर रचियता सब लालदाससँ फुट विचार केने छैक आ हुनका अपना छाती ( थन) सँ असुरक संहार करबाक कहने छथि: जे कियो पतिया नहिँ सकैत छैक। हमरौ ई तथ्य कनियों नहिँ अरघैत अछि। एहिठाम सीताक प्रति लेखकीय उदणडताक लगाम नहिँ लागने समीक्षक मंथन करथि। हमरा मैट्रिक मे लंका दहन आ आई0ए0 मे वर्षागीत पढ़बाक बाद डाँ0 बच्चेश्वर झाक रेडियो वार्ता सेहो महाकवि लालदास पर सुनवाक सौभाग्य भेटल रहय। हुनकर जन्मभूमि खड़ौआ गाम बहुतोबेर सन् 1980 सँ हालधरि जाकए ओतुका माँटिक चन्दन लगेबाक अवसर भेटल अछि। हुनकर किछु पांति एहि तरहेँ अछि-
निज भाषा जननी निज देश!
स्वर्गहु सँ जानथि जीवेश!!
तेँ हम कथा कहब तेहिरीति!
नहि विद्या कविता गुणगीति!!
मिथिला भाषा मधु माधुर्य!
शेष शारदा कह प्राचुर्र!!
देश विदेश क कयल विचार!
लक्ष्मी जतय लेल अवतार!!
नाम जानकी पड़ल जनीकि!
बजली मिथिला भाषा नीकि!!
कोमल वाणी अमृत समान!
तकर भाव रस क्यो-क्यो जान!!
पुण्य देशमे भाषा नीकि!
मिथिला सभक शिरोमणि थीकि!!
ताहि भाषामे करब सुवन्ध!
सीतारामक चरित प्रबंध!!

मैथिलीमे राज आश्रित दू महाकविमे चंदा झाक मिथिला भाषा रामायण आ लाल दासक रमेश्वर चरित मिथिला रामायण चर्चित भेल। लाल दास सबसँ बढ़िके सीता पर विस्तार देलनि एकटा पृथक पुष्कर काण्ड रचलनि, जकर पाँति देखू-:

मिथिला देश परम अभिराम!
सकल तीर्थमय धर्मक धाम!!
आबथि ततय मुनीश अनेक!
मिथिला वास करथि सुविवेक!!
दुष्कर तप कर मुनि समुदाय!
जनक सुश्रूषा करथि सदाय!!

ऋषि आ घुमन्तु प्राचीन परम्पराक बाद मानव समाज मे जे मैथिली भाषा आ तकर पहिचान दियेबा लेल विश्व प्रसिद्ध हमरा सभक आदर्श सीता दाई लेल आधुनिक उदगार व्यक्त करयमे किछु प्रमुख तथ्य सोझासोझी अछि -:
प्रो0 राम प्रमोद चौधरी अपन एकटा आलेख मे कहने छथि- जनक देश बाइस योजन धरि व्याप्त अछि। एतय हजारों गाम अछि। एहि देश मे नीच जातिमे उत्पन्न मनुष्यो प्रायः उदार होइत अछि। जनकरपुरक दक्षिणमे सात योजन दुर हटा कए डीजगल नामक महाग्राम अछि जतय जनक महाराजाक राजप्रसाद अछि, ग्रामक सटले सरिता सभमे श्रेष्ठ यमुना अत्यंत वेग सँ बहैत अछि। डीजगलक दक्षिण भाग मे आध योजन दूरी पर गिरजा नामक ग्राम देशवासी सभ मे विख्यात अछि। एहिठाम दुई नदीक मध्य मे एकटा प्राचीन मंदिर अछि। तत्पश्चात भैरव स्थान अछि जाहिठाम मुनिक… भैरव पूजन कए ओ सीतामण्डप गेलाह, जाहिठाम प्राचीनकालमे ग्रंथि बंधनक रुपे सीताक विवाह भेल छल।
पांचम शताब्दीक वृहत पुराणक मिथिला महात्म्य खंड मे जे वर्णित छैक तकर अनुवाद कविवर चंदा झा ई पाँति सृजित केलाह-

गंगा बहथि जनिक दक्षिण दिशी पूर्व कौशिकी धारा ।
पश्चिम बहथि गण्डकी उत्तर हिमवत बल विस्तारा।।

मैथिली साहित्य मे सिद्धहस्त हस्ताक्षर किछु कविक पाँति देखल जाए, ‘वर्तमान मिथिला’ कविता मे राजीव कुमार कण्ठ गाबै छथि –
माँ मैथिली हटावल गेली, हम चुप रही
बीपीएससी सौं धकियावल गेली, हम चुप रही
हम मैथिल कियो नै! कास्यथ, ब्राह्मण,यादव बनल चुप्प रही
जाति-पाति मे बटल समाज, तखन की हैत?…

डाँ0 बुचरू पासवान ‘श्री जानकी’ कविता शुरू करैत गाबै छथि-
मिथिला मे बहु ग्रह नाना जानकी नवमीक बनल संगोर
बहु संख्यकमे जनमनके जेना पूजा अर्चना मे जन विभोर…
सुभाष कुमार कामत केर पाँति मैथिल मंच सँ प्रकाशित –
….
ठाकुरजी, चौधरीजी झाजी मिश्रजीक दलान सँ बहरा दियौक
जाय दियौक यादवजी… पासवानजी भंडारीजी आ बारहौं वर्णक दलान पर
मिथिला राज्यक नारा कें जाए दियौक
घसछिलनी क छिट्टा मे , हरबाहक लागैन पर……
तेरहम शताब्दी मे ज्योतिरीश्वर केर वर्णरत्नाकर मैथिली गद्य पोथी सँ ल के अद्यतन बहुतो रचनाकर् मैथिली साहित्यक कतेको विधामे अपन कलम चलेबामे समर्थ भेलाह/भेलीह। ताहि सद् प्रयास लेल मैथिली पाठक श्रोता अभिभूत रहैत आयल अछि। सन् 1971 मेँ जननायक कर्पूरी ठाकुर सरकार बिहार विधान सभा सँ एक प्रस्ताव पारित कए भारत सरकार केँ पठौनै छलाह। मैथिली विरोध मे श्री धनिक लाल मंडल सन के नाम अबैत रहलैक । मधेपुरक पहिल विधायक स्व0 जानकी नंदन सिंह जी मिथिला राज्य लेल मांग केर बहस के आगू बढैनै रहथि।ओना 1918 सँ कोलकाता विश्वविद्यालयमे मैथिली विषयक एम0 ए0 धरि पढाई होइत रहल। 1939 सँ पटना विश्वविद्यालय मे क्रमशः इण्टर, स्नातक आ स्नातकोत्तर मेँ मैथिलीक पढौनी होइत रहल। मिथिलांचलक बहुतरास राजनेता मैथिलीक प्रति उदार छथि आ मातृभाषामे सदन मेँ शपथ लैत देखेलाह अछि। एखनो हक्कन कनैत मैथिलीक लेल नेतागण प्रयासरत रहौथु। मैथिली भाषा संविधानक अष्टम अनुसूची मे शामिल होअय, ताहि लेल एहि पाँतिक लेखक 1985 मे झंझारपुरक विद्वान सासंद डाँ0 जी एस राजहंस सँ पत्राचार करैत सरकार सँ सब एम0पी0 मिलकए भेंट करथि से आग्रह कैने रहैक। एहि दिशा मे संघर्षशील बैद्यनाथ चौधरी बैजूक भाषण एकबेर सरौती (घोघरडीहा) अन्तर स्नातक महाविद्यालयक स्थापना लेल प्रथम बैसक अधिवक्ता सूर्य नारायण कामत केर संग सुनने रही, ताहम अंडर मैट्रिक छात्र सरौती हाई स्कूल सँ रहल होयब। मिथिलाक गौरव गाथाक वर्णन बहुतो पोथीमे मुन्दर्ज छैक। एहि पोथीक नीक कागतक अभावे दीमक केँ शीघ्रे भेंट चढि जाईछ आ ग्रन्थालयमे धुरा गरदा तरमे सैंतायल रहल। किछु दुर्लभ पाण्डुलिपि प्रकाशन एखनो धरि नहिँ भेल छैक। मिथिला मे कोनो पोथीक ग्राहक सदा अभावै रहैत छैक,तैँ बेसी चलैन आब इलैक्ट्रानिक मीडिया आ ई-पत्रिका क भलैक अछि। एहिक लुत्फ नवपीढि उठवयमे लागले अछि। पोथीदिस तैयो उन्मुख समय पर हेबाक चाही। बिनु कोनो नारा आ बिना फ़ैशन केँ मैथिली आगू बैढ़ सकैत छलीह आ मिथिलांचल (भारत – नेपाल) सँ बाहर रहनिहार समस्त प्रवासी मिथिला लोक केँ सिनेमाक माध्यम मातृभाषा दिश आकर्षित करक उद्देश्य सँ मैथिलीक प्रचार-प्रसार चलचित्र माध्यमे हुअय, ताहिलेल धार्मिक बदला सामाजिक समस्या पर एकटा ममता गायब गीत फिल्म बनेबाक धुनकिमे लागल रहथि सर्व श्री केदार नाथ चौधरी (मधुबनी) आ हुनक परम मित्र आर्थिक मददगार स्व0 मदन मोहनदास, उदय भानु सिंह जे राजनगर आ दरभंगा क विराट मठ मे रहल छलाह ओ तिरहुताक (मुजफ्फरपुरक) छलाह। आब तँ बहुत टेलीफिल्म आ सिनेमाक फिल्म चित्रालय सँ देखाईल गेल छैक। नव अभिनेता आ अभिनेत्री जिनक सद् प्रयास सँ मैथिली आरो आगू बढत से आशा जनमानस मेंँ बनल छैक। एहि लेल सरकारी मदद चाहियेक।आ सुविधा बंचित समाजक नायिका गंभीरा देवीक’ प्रोत्साहन भेटक चाही।
देहाती कोशी क्षेत्रक एकटा गाम सँ मिथिलांचल कोशी विकास समिति हटनी आ एहिक ‘कोशी संदेश ‘ त्रिमासिक मैथिली पत्रिकाक माध्यमे मैथिली लेल कतिपय काज भैलैक अछि। सर्वहारा मंचक रुपे सगर राति दीप जरय कथा गोष्ठी क माध्यमसँ नव लेखकीय समाज तैयार भ रहल छैक। सुच्चा मैथिलक कार्यक्रमक चर्चा चहुँओर पसरल हन। मिथिला मैथिली सँ जुड़ल लोग केँ एक साथ समेटैय म मैथिल मंच क योगदान प्रंशसनीय अछि।
मातृभाषा मैथिली मेँ गीत संगीत आ नाटक माध्यम आ मिथिलाक बिरुदावली बखानमे लागल महराय,गायकक दिश सँ मैथिली अगूएलिह अछि। मातृभाषा मे बच्चे सँ पढाई लिखाई केर व्यवस्था राज्य सरकार करय, तकर पाठ्य पुस्तक अकादमी तैयार करय, से काज आजुकौ तारीख म फछुआयल छैक। भुल्ली महिष वाला कथा आ मीरा कलम दिनेश सँ बाल वर्गक विद्यार्थीक मनोविज्ञानिक तरहेँ विकास होइत रहैक से ठमकल छैक तेँ आगू बढवामे पिछैड़ अधिगम स्तरधरि देरी सँ पहूँचैत छैक। जखन कि विदेशोक खानगी स्कूलों म नर्सरी सँ मातृभाषामे धियापुताक पढाई हुअय लागल अछि। मिथिलाक्षर केँ आजादी पूर्व दरभंगा महाराजाधिराज शासन कालेमे पाछु छोड़लक आ कैथी लिपिमे दस्तावेज लेखन कार्य अपन स्थान बनेलक से अद्यतन देवनागरीक ईजोत सँ नेपथ्य चलिगेल सन छैक। नैका पीढी अपन भाषा आ अक्षर पकड़ब केर बनसब्त इंगलिश दिश झूकल छैक। मधुबनी पेंटिंग केर पहिचान विश्व भरि मेँ छैक। एहि सभक संवर्घन होयब परमावश्यक छैक। मिथिला मैथिली लेल बाबा यात्री जी द्वारा स्थापित चेतना समिति पटना आओर छोट पैघ संस्था संगठन लक्षित लाभ लेल काज करैत रहलैक, करितौ अछि जाधरि पूर्ण सफल नहिँ होयत ताधरि ई बैनर “हमरा मिथिला राज्य चाही ” जिंदाबाद रहत से विश्वास जमि गेल अछि। एहि छोट सन रिपोतार्य मेँ बहुत रास पैघ विद्वान क आ रचनात्मक कार्यकर्ता गणक चर्चा करब संभव नहिँ भ सकल जे अहर्निश माँ मैथिली जानकी नवमी आ मिथिला राज बनेबा ले अपन सर्वस्व निछावर केने होथि। हम एहि अवदान लेल हुनको सबहक प्रति आभार प्रकट करैत छी। प्रज्ञान रामायणक माध्यम सीताराम मिश्रक कहब-

यदि राम छोड़ि दोसर पुरुष नै कएलौं चिंतन
तखन सेँ पृथ्वी देवी हमरो दिअ शरण अपन

सीता जीक श्रधान्वित एहि पाँति सँ समाप्त करब जे रामायणमे बहुत बेर पढ़ने होयव

युग- युग जीवथु बसथु लखकोस
हमर अभाग हुनक नहिँ दोष

जानकी जीक महात्याग केँ शत् शत् नमन्।

लालदेव कामत
स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार
नौआबाखर ,घोघरडीहा
7631390761

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