पृथक मिथिला राज्यक अनिवार्यता अछि :: काजल कर्ण(मैथिली दिवा USA)

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मिथिला नेपाल आ भारतक अभिन्न हिस्सा आदिकालीन इतिहास, पूर्ण संस्कृति, संपन्न आ विकसित भाषा, लोकसंस्कृति, विशिष्ट पहिचान सहित केर क्षेत्र रहल अछि। इतिहास मे ‘मिथिलादेश, बज्जिप्रदेश, तिरहुत, विदेहराज्य, आदि’ नाम सँ सुविख्यात मिथिला केँ राज्य (प्रान्त) रूप मे मान्यता पेबाक माँग लगभग 1905 ई. सँ कैल जाइत रहल अछि।

मिथिला लिपि विलुप्त, मैथिली भाषा मृत्युक कगार पर, मिथिला क्षेत्रीय पौराणिक धरोहर मटियामेट, लोकसंस्कृति पर पलायनक खतरनाक जहरीला दंश सँ लहुलुहान मिथिलावासी अपनहि सँ अपन पहिचान बदलबाक घृणित अवस्था मे प्रवेश पाबि चुकल अछि। जाहि मैथिली भाषाक ओज विश्व केर अन्य भाषा केँ सेहो समुचित मार्गदर्शन केलक, आइ वैह मैथिली विपन्न सृजनशीलता सँ रुग्ण अछि।

लोकपलायनक विस्फोट एहि क्षेत्र लेल अभिशाप प्रमाणित भऽ चुकल अछि। एहि जहरक प्रभाव लगभग मिथिलाक मृत्यु तय कय देने अछि।

जँ मिथिला राज्य केर गठन नहि होयत तऽ एकरा बचेनाय असंभव अछि। मिथिला राज्य केर पक्ष मे एकटा और महत्त्वपूर्ण विन्दु मैथिली भाषाकेँ विशिष्ट वर्णमाला अछि जे तिलकेश्वरस्थान महादेव मन्दिर 203 AD मे वर्णित अछि। ई दुनु देश केर कुनु भाषा सँ पुरान भाषा अछि, परन्तु हिन्दी (देवनागरी) आ बंगला सेहो मिथिलाक्षर सँ बादक लिपि अछि।

अहि तरह सँ भाषा, संस्कृति, जनसंख्या घनत्व तथा आर्थिक पिछड़ापन आदि के आधार पर मिथिला राज्यक गठन समयक सत्य अछि। सम्मानपूर्वक दूनू देश में मैथिल संस्कृतिक रक्षार्थ पृथक मिथिला राज्यक अनिवार्यता अछि।

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