चाह पियबला राष्ट्रभक्त पार्टी में लोक के बियर पियाबय छथि मैथिलीक महान साहित्यकार आ जमल-संदेश के सह-सपादक अंगराज-छेदीराज-कर्णवंशज-कायस्थ-कामरेड संजीव सिन्हा

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विगत पन्द्रह दिन सँ मैथिली आ सौराठ पर बहसक फायदा उठाबैत किछु गुँहगिज्जक लोक सौराठ सभाक तमाम कुरीती सबके उजागर कयलन्हि जेहिमें कि एक प्रतिशतक सत्यता नहि अछि।
किछु अपवाद हर जगह होईत अछि ओकरा अपवाद के जगह मूल साबित कयनाई ओहने होईत अछि जेना एकटा उदाहरण सँ कहय छी।
सीतामढ़ी के एकटा अत्यंत गरीब गामक एकटा गरीब कायस्थ-कामरेड के बच्चा जेना तेना पढ़ाई कय कालेजावस्था में एकटा संस्थाक सदस्यता लेलाह आ ओतय हुनका छोट-मोट काज भेटलन्हि जेना सब संघी टाईप लोकसबके भेटैत अछि। अपन कुटिल-शांत स्वभाव सँ सबके मोन जीतिकय सबके प्रियगर भेलाह आ हुनका पदाधिकारी लोकनि के निजी काज करबाक अवसर सेहो भेटय लगलन्हि। जेना पार्टी सबमें सप्लाई कयनाई, माल अननाई आ वापस पहुँचेनाई। माल आनय आ पहुँचाबैत हिनका पैघ-पैघ अधिकारी गण सँ परिचय भेलन्हि आ हिनक प्रोन्नति बियर आ माल पहुँचेनाई सँ आफिस-सहायक में भेलन्हि आ ओतौ ई अपन काज कुटिल-ईमानदारी सँ करैत आगा बढ़लाह। आजुक समय में सबसँ आसान काज होईत अछि साहित्यकार बननाई तै जोगार लगलन्हि त ई एकटा पैघ नेता के पैजामा में जा सेट भय गेलाह आ ओतय सँ संदेश चहुओर बाँटय लगलाह। मूल काज हिनक वैह रहलन्हि जे पहिले छलन्हि बस आयाम बदलि गेलन्हि। छोट-मोट अधिकारी गण के बियर पियाबय आ माल सप्लाई सँ ई पैघ नेतागण के बियर आ माल पहुँचाबय लगलाह आ लुटियन जोन में स्थापित भय गेलाह। आब ओतय कर्मचारी आवास में रहि आवास सँ बाहर आबि मालिक कहा छपाईखाना चालू कयने छथि।

मर्दे अहाँ चाटू, अहाँ छापू मुदा अहाँके कतौ सँ अधिकार नहि अछि कि अहाँ सौराठ पर वा मिथिलाक संस्कृति पर कुठाराघात केवल एहिलेल करब कि अहाँके नेताजी के चटैत-चटैत नेताजी के जाति सँ जलन होबय लागल अछि आ अपन आ अपन जातिक कुचिष्टा सँ ग्रसित भय गेल छी अहाँ।
सीतामढ़ी सँ दिल्ली में अहाँक की स्थिति रहल अछि जे बहुत लोक जानय छथि आ अहाँ अपन हृदय सँ त जानय छी सब।

जँ एकटा वा दस टा उदाहरण आ किछु वामपंथी साहित्यकार के एक-दू टा लेख सँ सौराठ सभा के कुरीति साबित कयल जा सकैत अछि तँ अहाँक जीवन के अनेको घटना साबित करैत अछि जे अहाँ सप्लायर पत्रकार छी संदेश देबयवला।
शर्म करू……..

अहाँ राजनीति करू दिल्ली में देशी सँ अमेरिकन तक सप्लाई करू हमरा सबके आपत्ति नहि मुदा अगर हमर मिथिला संस्कृति पर आघात करबाक प्रयास करब तँ खोईंचा छोड़ाकय अहूँक जीवनी ताकल जा सकैत अछि।
जातिगत जे कुँठाभाव भरल अछि मोन में ओकरा खतम करू……नै त जीवनभरि एहिना नेताजी के टट्टा बनल रहब …….आब ओ बिहार नै छै जे नेताजी सीधे विधान-परिषद में सीट बुक कय पठेता अहाँके आ ने अहाँ ओतेक पैघ सप्लायर छी।

बियर पियाबय छी त एकर मतलब नै जे राष्ट्रवादी पार्टी में राजमाता बारबाला के हैसियत भेटत अहाँके। रहय के एहि मिथिला में अछि, तैं राजनीति नै करू अपन समाज में आ अपन जातिविशेषक कुँठा छोड़ि सत्कार्य में लागू।
बियर परसयवला वेटर सँ बेसी इज्जतदार, चाह परसयवला नोकर होईत अछि। नोकर बननाई कोनो गलत नहि सब नोकर अछि दुनियाँ में, दलाल नै बनूँ ई आग्रह।

अहाँके बोंड़्ग सुलगय लगैत अछि जहन कियो अहाँक सहयोगी मैथिली साहित्य में आगा बढ़य लगैत अछि त, अहाँ अपने 17 टा मैथिल संस्था में उच्च पदाधिकारी छियै तहन दोसर पर आरोप लगबै छियै जे जातिविशेषक कब्जा अछि, लाज नै होईत अछि।

अहाँ भोर-साँझ मे चारिबेर कर्ण-महासभा, कर्ण-कायस्थ महासभा के गुणगान बखारैत छी तखन ई सब मोन नै रहैत अछि। एतिहासिक साहित्यिक आ साँस्कृतिक दृष्टिकोण सँ अहाँक ज्ञान शून्य अछि तैयो समाज मे केवल नेतासबके बियर आ सप्लाई पर किछु चमचा अहाँके नेता कहय छथि त अहाँ नेता नै भय गेलौ। कोनो पोस्ट लिखय वा बाजय सँ पहिले अहाँ ई निश्चय कयल करू कि अहाँ अंगराज कर्ण के कर्ण-कायस्थ छी वा छेदीराज कर्ण के वंशज छी, मैथिल छी वा राष्ट्रवादी पत्रकार छी वा राष्ट्रवादी कार्यालय में बियर पहुँचाबय आ सप्लाई करयवला सप्लायर छी। एक आदमी सबटा नै भय सकैत अछि।

जँ किछु-एकटा अपवाद सँ सभ्यता कए कुरीति साबित कयल जा सकैत अछि त अहाँक चरित्रक एहन अनेको कथा-साहित्य हमर संकलन में अछि। अहाँ अपवाद ताकू हम मूल ताकब।


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