सिंगिया पर गहन सोधक आवश्यकता: मुरारी झा(पुरातत्व)

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LNMU, प्राचीन भारतीय इतिहास पुरातत्व एवं संस्कृति विभागक टीम केलैंन सिंगिया(मधुबनी) गामक निरिक्षण

विगत 28जून केर LNMU, AIHA&C विभागक विभागाध्यक्ष डॉ अयोध्या नाथ झाक अध्यक्षता में मिथिला प्रक्षेत्रक पुरातत्व विषय पर सोध कयनिहार बिहारक युवा पुरातत्वविद श्री मुरारी कुमार झा(पुरातत्व) आ मूर्तिकला विशेषज्ञ डॉक्टर सुशान्त कुमार मधुबनी जिलाक बिस्फ़ी प्रखंड अंतर्गत आवय बला ऐतिहासिक सिंगिया गामक निरिक्षण कयलनि। इतिहास-पुरातत्व पर विशेष प्रकाश देल गेल।

सब स पहिले पूरा दल किछु ग्रामीण आ मदद कयनिहारक संग धौंस नदीक कछेर पर अवस्थित नव निर्मित शृंगी ऋषि आश्रम स खोजक काज प्रारम्भ करैत गाम स पूब कात स्थापित सिंघेश्वर नाथ महादेव मंदिर प्रांगण पहुँचल। डॉ सुशान्त कुमार कहलैनी जे “तिरहुत कला शैली मे निर्मित ई मंदिर 18वीं सदीक अंत वा 19वीं सदीक आरम्भ में बनल प्रतीत होइत अछि आ एतय स्थापित शिवलिंग मिथिला में बड्ड कम अछि। एहन प्रकारक मंदिरक सम्बन्ध दरभंगा राज स होइत रहल अछि”।

ग्रामीणक बीच प्रचलित किवदंती अछि जे शृंगी ऋषि एही ठाम स राजा दशरथ के ओहि ठाम पुत्रेष्ठि यज्ञ करबाक लेल गेल रहैथ।

मंदिरक बाद सब लोक विजयपुरा/विजनपुरा बाध जाय गेलाह जतय प्राचीन मृद्भाण्डक आ ईंटाक अवशेष देखल गेल। मुरारी झा बतेलाह जे “एहि ठाम स कारी, लाल-कारी, लाल आदि जाहि मैन्टक बर्तनक अवशेष भेट रहल अछि से करीब 2000 वर्ष प्राचीन अछि आ रामायण-महाभारत स सम्बन्ध राखैबला स्थान सब जेना की- अहिल्या स्थान, गौतम कुंड, जगवन, गांडिवेश्वर महादेव मंदिर आदि अति महत्वपूर्ण ऐतिहासिक महत्वक स्थल चारु कात पसरल अछि। एहि सब केर देखैत एहिमे संकोच नै होबाक चाही जे ई गाम रामायण काल स सम्बन्ध राखैत अछि। बस जरूरत अछि गहन शोधक”।

एहि सब प्रक्रिया केर सुगम बनेबा में आ हैर्दम संग दै बला में शृंगी ऋषि सेवा समिति केर सदस्य मदन झा, मनीष झा, नीरज कुमार मिश्रा, विकास झा, गोविंद झा, शंकर मिश्र, विवेक मिश्र, श्रवण मिश्रा, प्रदीप झा आदि मुख्य रहैथ।

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