“मिथिला विकास परिषदक जन्म भेल आन्दोलनक गर्भसँ” :: राजकुमार झा, तत्कालिन प्रचार सचिव (१९८४)

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“मिथिला विकास परिषदक जन्म भेल आन्दोलनक गर्भसँ”

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(मिथिला विकास परिषदक संदर्भमे जे बात हम लिखS जा रहल छी ओ सत्य आओर तथ्यकें आधार पर इतिहासक दस्तावेज अछि । मनुक्ख छी आ मैथिलीसेवी तैं भूलत्रुटि सेहो संभव मुदा सत्य तS सत्ये थिकैक । कोलकाता मैथिली इतिहासकें मिथिला विकास परिषद आ व्यक्तिगत भावे हम आदर करैत छी । फलतः अतीतके बिना वर्तमानके परिकल्पना करब संभव नहि अछि……।
– राजकुमार झा, तत्कालिन प्रचार सचिव (१९८४), मिथिला विकास परिषद, कोलकाता ।)
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एक एहेन गैर राजनीतिक व सामाजिक संगठनकें गठनक उद्वेश्य एवम् स्थापनाक पश्चात् कयल जा रहल विभिन्न धारावाहिक कार्यक्रमक जानकारी साझा कS रहल छी जाहिकें जानब आ बुझब सभहक लेल नितांत जरूरी अछि । हम चर्चा कS रहल छी मिथिला विकास परिषदक, जकर विधिवत् गठन १९८३ ई० मे भेल । जनतब दी जे १९७५ ई० सँ लS कें १९८१ ई० धरि कोलकातामे मिथिला-मैथिलीक लेल संक्रमण काल छल । ओहि समय हम छात्र जीवनमे रही एवम् कांग्रेसक राजनीतिसँ पूर्णरूपेण प्रभावित छलौं । सदासु कठरामे काज केनिहार किछु उत्साही नवयुवक यथा देवकान्त राय ‘बरूआ’, राधेश्याम राय, कलाधर ठाकुर, विश्वनाथ झा आदि लोकनि सभ मिलि हमरा कहलनि जे – किऐक ने हमरालोकनि एक मैथिली कार्यक्रम करी आओर हम सभ एक पुरान ढ़नमनायल मकानमे बैसि संस्थाक गठन कयलौं जकर नाम देल गेल “मिथिला विकास परिषद ।” मुदा जे युवक लोकनि संस्था गठन हेतु हमरा उकसेलनि हुनका लोकनिक मनोभाव किछु आओर छल । ओ लोकनि मैथिल कम्म आर संस्थाके माध्यमें सदासु कठरामे युनियन बेसी करS चाहैत छलाह ।ओ सब हमर कांग्रेसी राजनीतिमे प्रभावक कारणें अपन वर्चस्व स्थापित करS चाहैत छलाह । जखन हुनका लोकनिक मनोभावक भाँज हमरा लागल हम तत्काल हिनका लोकनिसँ सम्पर्क समाप्त कS लेलौं । चूँकि हम मैथिली राजनीतिसँ बहुत दूर छलौं एवम् कांग्रेसक नीति आ नियतके मानि राजनीति केनिहार एक समर्पित कर्मी छलौं, एहि लेल मैथिली संस्थाक गठनकें ठंडा बस्तामे राखि देल ।

किछु मासक उपरांत ओहि वर्ष अखिल भारतीय मिथिला संघके एक समारोह रविन्द्र भारती विश्वविद्यालय के रथिन्द्र मंच, कोलकातामे आयोजित भेल छल । जाहि समारोहमे विशिष्ट अतिथिक रूपमे कामरेड भोगेन्द्र झा उपस्थित भेल छलाह । कामरेड भोगेन्द्र झा कट्टर वामपंथी आ हम कट्टर दक्षिणपंथी । मुदा छलाह ओ हमर दियादि पित्ती । एक भातीज हेबाक धर्मकें अनुपालन करैत हम अप्पन पित्ती भोगेन्द्र झासँ भेंट करबाक लेल समारोहमे उपस्थित भेलौं । हम हुनका गोर लगलिएनि । आशीर्वाद दैत कामरेड स्व० बाबूसाहेब चौधरी, स्व० पीताम्बर पाठक, स्व० महावीर झा आ श्री सृष्टि नारायण झासँ हमर परिचय दैत कहलथिन जे ई हमर भातीज अशोक छथि । राजनीति दृष्टिकोणे ई कांग्रेस करैत छथि मुदा हिनकासँ मैथिलीक काज कराओल जा सकैत अछि । क्रमशः चौधरीजी आ उपस्थित अनन्य महानुभावकें गोर लगलिएनि । स्व० चौधरीजी आशीर्वाद दैत कहलथि जे वर्तमान समयमे अहीं सदृश युवा मैथिलीसेवीके दरकार छैक । अहाँ दीर्घायु होउ । जखन कार्यक्रम प्रारम्भ भेल हम प्रेक्षागृहमे आबिके ठाढ़ भS गेलौं । भगवती वंदनाक समाप्तिक उपरांत एक छड़हरा पैघ कदके गोरनार व्यक्ति हमरा समीप आबिके कहलैथ – के अशोक छे रौ ? हम अकचकेलौं आर ओहि व्यक्तिसँ पूछलिएनि – अहाँ के ? ओ कहलनि छोड़ ने ! तोरा हम चिन्हैत छियौ ! एतबा कहि पाँजरमे ठाढ़ एक श्यामवर्ण छह फीटके महानुभावसँ हमरा परिचय करबैत कहलनि जे हिनका चिन्हैत छिऐन्ह ? ई छथि मिथिलाक दधीचि हरिश्चचन्द्र मिश्र ‘मिथिलेन्दुजी’ । मिथिलेन्दुजीसँ परिचय भेला उपरांत हुनका पुछलिऐन्ह – श्रीमान् हम हिनका नहि चिन्हलौं । ताहि पर सहज आ सरलभावें मिथिलेन्दु जी कहलनि अशोक जी ! ई कोलकातामे मैथिलीके एकनिष्ठ मैथिलसेवी छथि एवम् हिनक नाम छिऐन्ह श्री कमलेश झा ।

उद्घाटन सत्र समाप्त भेलाक पश्चात् हम जेबाक उपक्रम बनेलौं आर ओहि क्रममे दोसर दिन मिथिलेन्दुजी, मालापाड़ा स्थित १ नंबर यदुलाल मल्लिक रोड अपना आवास पर भेंट करबाक लेल बजेलनि । पूर्व निर्धारित कार्यक्रमक अनुसारे साझुपहर जखन मिथिलेन्दुजीक ओहिठाम पहुँचलौं, ओहिठाम कमलेशजी पहिनेसँ उपस्थित छलाह । मिथिलेन्दुजीक आवास कोनो मंदिर सँ कम्म नहि छल ।मिथिलेन्दुजीके परिधान उज्जर रंगके कमीज जाहि पर बटन आ उज्जर दपदप धोती देखि हमरा सहजहिं ओ प्रभावित कS देने छलाह । एहिठाम ई जानकारी देब आवश्यक जे मैथिली, हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत आ बंगला भाषाकें ओ साधक छलाह । सहसा कमलेशजी एकटा फॉर्म बढाबैत कहला जे एकरा भरिके एक टाका हमरा दS दे । हम अकचकेलौं आ किछु बजितौं ताहिसँ पूर्व मिथिलेन्दुजी कहलनि बौआ ! ई मिथिला संघर्ष समितिके कर्ता छथि । अहाँ एहि संस्थाके सदस्य बनि जाउ । हम विधिवत् मिथिला संघर्ष समितिक सदस्य बनलौं ।

एहि तरहें मिथिला-मैथिलीक लुक्का-छिप्पीक खेल हमरा जीवनमे प्रारम्भ भेल । किछु दिनक उपरान्त कामरेड भोगेन्द्र झाजीक आह्वान पर बड़ी रेल लाइनक लेल आन्दोलन करबाक हेतु एक कमिटिक गठन भेल जकर नाम राखल गेल “नॉर्थ बिहार पैसेंजर एक्शन कमिटि ।” एहि कमिटिक पहिल आमसभा तत्कालीन सभागाछी गिरीश पार्कमे भेल जाहिमे एक वक्ताके रूपमे कमलेशजी हमरा ओहि मंच पर आह्वान कयलनि । गिरीश पार्कमे निर्धारित समयानुसार बेरूपहर ४.०० बजेसँ जनसभा प्रारम्भ भेल । मुद्दा छल समस्तीपुरसँ दरिभङ्गा-जयनगर धरि बड़ी रेल लाइन । ओहि आमसभा केर अध्यक्षता कS रहल छलाह मिथिलेन्दुजी । मिथिलेन्दुजीक अतिरिक्त मंच पर छलाह कामरेड सत्यनारायण लाल दास, गोपी कान्त झा (नवकरही), कलाधर ठाकुर आओर हम । सभाक संचालन स्वयं कमलेशजी कS रहल छलाह । हमर पहिल मैथिलीमे भाषण एहि जनसभासँ प्रारम्भ भेल । हम धारावाहिक भाषण देमयवला वक्ता छी । तकरीबन ४५ मिनट जखन बाजि लेने छलौं तखन खुब जोरसँ बरखा होमय लागल । लेकिन हमरा ओहिना स्मरण अछि जे कमलेशजी लगातार बाजैत रहबाक निर्देश दैत रहलाह । सामने दर्शक छत्ता लS के ठाढ़ छलाह । सभा समाप्तिक उपरांत उपस्थित जनसमुदाय हमरा आशीर्वाद देमय लगलाह । संगहिं ओहिठाम निर्णय भेल जे “नॉर्थ बिहार पैसेंजर एक्शन कमिटि” केर दोसर बैसार कोल्हू टोला, घोड़ागाडी स्टैण्डमे होयत । नहि जानि कियेक कमलेशजी ओहि आमसभामे हमरा नहि बजेलथि । हम ओहि आमसभा केर सम्पूर्ण जानकारी हिन्दूस्तान लेदर वर्कके ८३ नं० कोल्हू टोलामे बैसिके अवलोकन करैत रहि गेलौं । विदित हो जे हिंदुस्तान लेदर वर्कस के मालिक दरभंगा जिला अंतर्गत क्योटि रनवेके छलाह आ मालिकक बेटा स्वर्गीय कमरूल होदा हमर छात्र राजनीतिके संगी छलाह ।

एकर उपरांत की भेल तकर पूर्ण जानकारीक संग पुनः उपस्थित होयब……….।

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