तिरहुत के खण्डवला शासन में करमहा अहपुर के योगदान :: सुशांत भास्कर

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तिरहुत के खण्डवला शासन में करमहा अहपुर के योगदान :: सुशांत भास्कर
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तिरहुत के खण्डवला राजवंश में करमहा कुल के लोकसब महत्वपूर्ण भूमिका निभेने छथि। करमहा कुल में नरपति झा नामक विद्वान भेल छलथि। एहि वंश के महादेव झा के चौधरी के उपाधि हुमायूँ के दरवार में प्रदान कयल गेल छल।साक्षी के माध्यम सँ विवाद के निबटारा कयनाई हिनक मुख्य काज छलनि। महामहोपाध्याय पंडित महेश ठाकुर अहपुर ग्राम निवासी महादेव झा के मित्र छलथि। जखन अकबर के द्वारा हिनका राज्य प्राप्त भेलन्हि त चौधरी महादेव झा के राज्य के सुशासन तथा प्रबन्ध के काज सौपने छलथि।

महामहोपाध्याय महेश ठाकुर के राज्य काल में चौधरी महादेव झा फौजदार के रूप में रहलथि आ अपन पुत्र हरिराम झा के प्रबंधक बनाकय रखलनि। एहिके बाद हरिराम झा महामहोपाध्याय महेश ठाकुर सँ महामहोपाध्याय शुभंकर ठाकुर के काल तक प्रबंधक पद पर 51 वर्ष तक बनल रहलाह।

महामहोपाध्याय पुरुषोत्तम ठाकुर, हरिराम झा के पुत्र प्रद्युम्न झा के राजबल्लभ बनौलथि। प्रद्युम्न झा महामहोपाध्याय महिनाथ ठाकुर तक लगभग 63-64 वर्ष तक राजबल्लभ बनिकय मिथिला राज्य के सेवा करैत रहलथि।
प्रद्युम्न झा के मृत्यु के बाद हिनक पुत्र बलमहि झा के महामहोपाध्याय महिनाथ ठाकुर राजबल्लभ बना देलन्हि आ महामहोपाध्याय राजा राघव सिंह बहादुर के समय 14 वर्षो तक प्रजा के हितचिन्तक के रूप में राजबल्लभ बनल रहलाह।

बलमहि झा के पुत्र बालकृष्ण झा 1111 साल में राघव सिंह के राजा बनलाक बाद 1114 में सेनापति आ राजबल्लभ बनलथि।

बालकृष्ण झा के पुत्र उमानाथ झा आ गोकुलनाथ झा वाल्यवस्था में अपन पराक्रम सँ राजा राघव सिंह के प्रभावित कयलनि आ उमानाथ झा सेनापति बना देल गेलथि।
महामहोपाध्याय राजा राघव सिंह बहादुर सँ महाराज माधव सिंह तक उमानाथ झा अविवाहित रहिकर अपन सेवा दैत रहलाह। राजा माधव सिंह सँ वैचारिक मतभेद भय गेलन्हि आ 84 वर्ष के उम्र में अंतिम समय हरिपुर बख्शी टोल में गुजारते हुए परलोक की यात्रा पर गेलाह , सबसँ छोट भतीजा सनाथ झा (सोले झा) कर्ता पुत्र बनलथि। छोटे भाई बख्शी गोकुल नाथ झा पहले ही परलोक गमन कय चुकल छलथि।

यद्दपि उमानाथ झा अपन भतीजा लोकनिके राज परिवार सँ सम्पर्क हटा लेने हेतु कहने छलथि मुदा पैघ भतीजा धैर्यनाथ झा गुप्त रूप सँ धैर्यनारायन के नाम सँ यदा-कदा दरभंगा जाईत छलाह। धैर्यनाथ झा के परोक्ष होबाक पश्चात हुनक एकमात्र पुत्र बाबूनाथ झा राज दरभंगा के सेवा कयलन्हि । महाराज माधव सिंह के पुत्र महाराज छत्र सिंह के समये में ही बख्शी उमानाथ झा के भतीजे प्राणनाथ झा आ सनाथ झा राजबल्लभ के पद पर आसीन भेलथि। सनाथ झा के चारू पुत्र कन्हाई झा, मोहनलाल झा, भोलानाथ झा, कवीश्वर जयनाथ झा महाराज छत्र सिंह के सेवा में आबि गेलाह।

सनाथ झा के दोसर पुत्र मोहनलाल झा महाराजा रूद्र सिंह के मोसाहेब छलथि।

कन्हाई झा आ मोहनलाल झा के बाद हुनक पुत्रलोकनि के द्वारा महाराज महेश्वर सिंह की सेवा में लागल रहबाक जानकारी भेटैत अछि।
कालांतर में समय बदलय के संग ही हिनक वंशज लोकनि राजदरबार सँ इतर बिभिन्न डयोढ़ी के ओर अपना रुख अख्तियार कयलथि किन्तु निश्छल भाव सँ सतत राजपरिवारों के साथ सम्बद्ध बनल रहलनि।

तस्वीर काल्पनिक अछि


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