मधुबनी जिला के अन्तर्गत बेनीपट्टी प्रखंड के शाहपुर पंचायत के शिवनगर गाम महाभारतकालीन गाम अछि जतय गाण्डीवेश्वरनाथ महादेव विराजमान छथि। एहि के आस-पास अछि वाणेश्वर, विराटपुर या वानटपुर, उत्तरा, कच्छरा आदि गामसब, जकर संबंध महाभारत के कथा में भेटैत अछि।
शिवनगर मिथिला के एकटा अतिप्राचीन गाम में सँ अछि जकर प्रमाम समय-समय पर होईत रहल खुदाई सबमें भेटैत रहैत अछि।
एतय नील के फैक्टरी होईत छल जतय खेतीक संग एकर उत्पादन सेहो होईत छल। एहि के भग्नावशेष एखनहुँ देखल जा सकैत अछि।
शिवनगर के प्रसिद्ध शिवतीर्थ गाण्डीवेश्वर महादेव छथि। एहि के बारे में कतेकों जनश्रुति अछि, जहिमें एकटा जनश्रुति अछि जे ई स्थान अर्जुन द्वारा स्थापित अछि। किरात-अर्जुन युद्ध एहि ठाम भेल छल। किरात के वेश में महादेव के अर्जुन सँ युद्ध भेल छल। ई क्षेत्र जंगल सँ आच्छादित छल। 1962 ई. तक तँ गाण्डीवेश्वरस्थान के चारुकात घनघोर जंगल पसरल छल जहिमें जंगली सूअर के अधिकता छल।
शाही, नीलगाय, सियार आदि सेहो बेसी छल। 1962 ई. में जहन बाबा रासबिहारी दास के नेतृत्व में एतय यज्ञ के आयोजन भेल तँ आसपास के क्षेत्र साफ कय यज्ञस्थली के निर्माण भेल। ओहि के बाद एहन भेल कि सबटा जंगल देखिते-देखिते साफ भय गेल।कहल जाईत अछि कि एहि जंगल में अर्जुन एकटा जंगली सूअर के शिकार लेल तीर छोड़लथि तहने दोसर कात सँ एकटा किरात सेहो ओहि सूअर पर भाला सँ प्रहार कयलक। एहि तरहे किरात आ अर्जुन में शिकार लेल युद्ध होईत रहल। अंतत: युद्धकौशल सँ प्रभावित भय क किरातवेशधारी महादेव प्रकट भेलाह आ अर्जुन के गाण्डीव (धनुष) प्रदान कयलन्हि। ई वैह स्थान अछि जतय अर्जुन गाण्डीवेश्वरनाथ महादेव के स्थापना कयलन्हि।
दोसर जनश्रुति अछि कि पाण्डव जखन अपन गुप्तवास में प्रच्छन्न रूप सँ राजा विराटक नगर में रहय छलाह त अर्जुन अपन गाण्डीव के एतय शमी (शनि) के गाछपर नुका कय रखने छलथि, जकर मूक गवाह सैनी पोखरि अछि जकर भीर पर ओ विशाल शमीक गाछ छल। गामक बुजुर्ग सब कहय छथिन्ह जे आई सँ 50-60 वर्ष पूर्व तक प्रत्येक वर्ष बैशाख महीना में नागा साधुसबहक झुंड एतय अबैत छल आ पोखरि में स्नान कय अपन जीवन के धन्य समझैत छलाह। जं कोनो बैशाख में जल नहि होईत छल पोखरि में त पोखरिक माटि पूरा देह में लगाकय ओ सब पूर्ण संतुष्ट होईत छलाह। अज्ञातवास के समय गाण्डीव संग रखला सँ गुप्त रहस्य उद्घाटित होबाक डर छल। कहल जाईत अछि जे जतय गाण्डीव नुकाकय राखल गेल ओतय गाण्डीवेश्वरनाथ महादेव के स्थापना भेल आ जतय तीरयुक्त तरकश राखल गेल ओतय वाणेश्वर महादेव के स्थापना कयल गेल। वाणेश्वर में वाणगंगा नामक एकटा पुष्करणी सेहो अछि जकरा बारे में कहल जाईत अछि कि अर्जुन ओहि स्थान पर तीर(वाण) सँ धरातल सँ गंगाजल निकालने छलथि जहि सँ ओतय एकटा तलाबक निर्माण भेल आ ओकर नाम वाणगंगा पड़ल।
गाण्डीवेश्वरनाथ परिसर में एकटा आर मंदिर अछि जहिमें गौरीशंकर के युग्म शिवलिंग अद्भुत अछि, जे जमीन सँ 10 फीट नीचा अछि जतय बैशाख आ श्रावण मास में महादेव जलशयन लैत छथि। गाण्डीवेश्वर नाथ के ठीक सामने पश्चिम में गौरीक मंदिर छनि। जनश्रुति अछि जे स्वयं बाबा बैद्यनाथ सवा पहर एहिठाम निवास करैत छथि।
चानपुरा गामक चान चौधरी नि:सन्तान छलथि। कहल जाईत अछि जे ओ बाबा बैद्यनाथधाम जाकय संतान हेतु परिसर में धरना पर बैसि गेलाह। बाबा बैद्यनाथ हुनका स्वप्न में कहलखिन्ह कि अहाँ एतय कियै आयल छी? जाऊ शिवनगर, जतय गाण्डीवेश्वरनाथ छथि। हुनके सेवा-अर्चना करु। हम स्वयं सवा पहर ओतय रहय छी। ई सुनि चान चौधरी ओतय सँ गाण्डीवेश्वरस्थान एलाह आ बाबा के पूजा-अर्चना सँ हुनका संतान-सुख के प्राप्ति भेलन्हि। हुनक संतान एखन के बाबा गाण्डीवेश्वर नाथ के वर्तमान मंदिर के निर्माण कयलन्हि आ बाबा के जलधरी में अपन वंश के नाम खोदबौलन्हि, जे आईयो देखल जा सकैत अछि।
एहि परिसर में भैरव के मंदिर सेहो अछि। संगहि सबसँ महत्वपूर्ण विग्रह अछि एहि परिसर के द्वादशादित्य के प्रतिमा अछि।सूर्य के बारहो रूपक प्रतिमाक दुर्लभ दर्शन एतय होईत अछि। प्राय: पूरा देश में कतौ द्वादशादित्य के प्रतिमा एकसंग एक फलक पर नहिं अछि।
ओना माघ मास में हरेक रवि आ शिवरात्रि के एतय वृहत साँस्कृतिक मेलाक आयोजन होईत आबि रहल अछि।
गाण्डीवेश्वर स्थान सँ तीन किलोमीटर पश्चिम-उत्तर में वाणेश्वर अछि आ दू किलोमीटर पर गंगवाड़ा(गौअरा) नामक गाम अछि। एहि गामक सेहो संबंध महाभारत सँ अछि। कहल जाईत अछि जे राजा विराट के गाय सबके एतय सँ कौरव हाकि कय ल जाय लगलथि त गाय सब एतय आबि अड़ि गेल आ किन्नहुआगा नहिं बढ़ल। एहि सँ एकर नाम कालांतर में गौअड़ा अर्थात गंगवाड़ा भय गेल।
बाबा गाण्डीवेश्वर आ वाणेश्वर के कृपा कही, आई शिवनगर गाम एकटा अपन पहचान रखैत अछि। एतय सरस्वती आ लक्ष्मी संगहि निवास करैत छथि। कहल जाईत अछि जखन नेपाल के पैमाइश (नापी) होईत छल त ओकर कर्ता-धर्ता हनुमते छलाह जे एहि शिवनगरक कायस्थ वर्ग सँ छलाह। ई गाम मूलत: कर्ण-कायस्थक छल। एतय के कर्ण कायस्थ कोठिपाल राघोपुर शिवनगर डेरा आ वतिकवाल वंशीय छथि। मूलवासी में एहि जातिक अलावा नोनिया जातिक लोक सेहो छथि। बाद में आन जातिक लोग आबि बसय लगलाह। शिवनगर आई ब्राह्मण बाहुल्य गाम अछि। एहि के अलावा एतय कायस्थ, यादव, नोनिया, पासवान, तेली, मलाह, धोबी, क्योट-धानुख, बढ़ई, मोची, डोम, हजाम, मुस्लिम आदि जाति के लोक मिलिजुलि क रहय छथि।
एहि गाम में उच्चपदस्थ व्यक्तित्व के बहुलता अछि। न्यायाधीश, अधिवक्ता, वन अधिकारी, प्रोफेसर, डाक्टर, इंजीनियर, वैद्य, बैंकर्स आ विभिन्न विभागक अफसर आदि पदधारक संग विभिन्न भाषाक साहित्यकार के सेहो कमी नहि अछि। बिहार विधानसभा के पूर्व सभापति स्व. पं. ताराकांत झा एहि गामक छलाह। साहित्य अकादमी सँ पुरस्कृत मैथिली साहित्यकार डा. विभूति आनंद के जन्म सेहो एहि ठाम भेलन्हि। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. गयादत्त झा तथा नेपाल सरकार द्वारा गोरखा दक्षिणबाहु सम्मान सँ सम्मानित पं. महारुद्र झा एहि माटिक लाल छलथि।
वर्तमान में ई गाम मधुबनी-सीतामढ़ी प्रांतीय राजमार्ग के बीच में 40 किलोमीटर के दूरी पर स्थित अछि। नजदीकी रेलवेस्टेशन जोगियारा अछि। मुख्य व्यावसायिक बाजार पुपरी अछि। गाम आई विकास के राह पर अछि। कतौ गाम में कच्ची सड़क नहि अछि, बाजली, सप्लाई पानी के व्यवस्था अछि। सरकारी हॉस्पिटल आ आईटीआई स्थापित अछि। गाण्डीवेश्वर स्थान परिसर के जीर्णोद्धार के काज चलि रहल अछि। पछिला 36 वर्ष सँ लागातार जानकी महोत्सव के आयोजन भय रहल अछि।
एहि विकासक धारा के भागीरथी रूप देबयवला व्यक्ति छलथि मिथिला मैथिली के पर्याय, मैथिली आंदोलनक प्रणेता आ मिथिला राज्यक स्वप्नद्रष्टा स्व. पं. ताराकांत झा।
साभार :
डा. अयोध्या नाथ झा
विभागाध्यक्ष,
प्राचीन भारतीय इतिहास,
पुरातत्व आ संस्कृति विभाग,
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा
नोट : एहि गामक जानकारी में कोनो तरहक त्रुटि सुधार आ आर विस्तृत जानकारी किछु छायाचित्र संग manchmaithil@gmail.com वा 8826566136 पर पठा सकय छी।
एहि गाम में मैथिल मंच के सहयोगी लोकनि छथिन्ह :-
अति सुन्दर ! अकाट्य सत्य बुझना जाईछ ! उत्तमोत्तम प्रयास थिक!
अशेष आभार संग सस्नेहाभिवादन ।
कुमुद कुमार झा
9007488819
धन्यवाद!!
बहुत सुन्दर विवरण देल गेल अछि डॉ. अयोध्या नाथ झा जी द्वारा ।
– बाल मुकुन्द चौधरी
ग्राम – चानपुरा (पछवारि टोल)
धन्यवाद!!
कृपया अपन सम्पर्क नंबर देल जाऊ आ अपन गामक विवरण सेहो पठेबाक कष्ट करब। अहाँक गाम चानपुरा मिथिला के एकटा प्रसिद्ध गाम में अछि। विस्तृत जानकारी के अभाव में एखन हमसब अक्षम छी लिखय में…..
शिवनगर ग
बहुत सुन्दर विवरण देल गेल अछि डॉ. अयोध्या नाथ झा सर जी द्वारा।🙏🙏
नेपालक पैमाईश करबाबय बला केँ हनुमते नाम स उल्लेख कएल गेल अछि तिनकर नाम हरिहर लाल दास छलैन्ह।ओ हमर पितामहक पितामह छलाह।
एक ठाम गाम मे बसनिहार के रूपें आन जातिक संग भूमिहारक उल्लेख अछि जे गलत अछि। एहि गाम मे भूमिहारक बास कहियो स एखन धरि नहि अछि।भविष्यक के जाने।
त्रूटि सुधार सम्भव होय त कएल जेबाक चाही।
त्रूटि सुधार कएल