नंद विलास जीक कथा यात्रा शुरू :: लालदेव कामत

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नंद विलास जीक कथा यात्रा शुरू

मिथिलांचलक कथा साहित्यमें एकटा ध्रुवतारा सन छठकैत नवकथाकारक नाम थीक नंद विलास राय, जे अपन मौलिक प्रथम लघु कथाक ‘सखारी-पेटारी’ संग्रह वर्ष 2013 ईस्वी में पाठकक बीच श्रुति प्रकाशन दिल्ली सँ आनलानि। हुनक दोसरों बिधामे डेग उठल अछि ; परंच कथाकारक रूपे सगर रातिदीप जरय मंच पर कतेको अपन कथाक पाठ केयने छथि। हिनक मैथिली पोथी – छठिकडाला 36 कविताक काव्य संग्रह पल्लवी प्रकाशनसँ 2018 मेँ छपल। तकरबाद ओहिसाल ओतयसँ भरदुतिया 9 टा कथाक संग्रह आ सद्य प्रकाशित मरजादक भोज’ 13 कथाक संग्रह बहरेलैक हन।हिनक एकांकी संचयन ‘बहिनपा’ सेहो प्रकाशित भेल छैक। बहुचर्चित पोथी मरजादक भोज केर विषय में विमर्श कए रहल छी। श्री नन्द विलास जीक मादे वरेण्य साहित्यकार श्री गजेंद्र ठाकुर जी सेहो अपन मत प्रकट करैत कहने छथि-रायजीक कथ्य हुनक अड़ोस-पड़ोस छन्हि। बहुत रास संभावनाके नुकेने रहैत परसल गेल यर्थात कम रूचिगर नय। बेरमा+निर्मलीक पल्लवी प्रकाशन सँ वर्ष 2018 में बहरायल कथाक ई मैथिली पोथी पाठकके अपना कथा माध्यमसँ लगीचमे खिचैत य। सब कथा प्रेरणादायक छै। आधुनिक जीवनक विसंगति, कटुता आ गरीबीक नव फैशनके आँखियेने छैक। अमर-मदनक मैत्री कसौटी पर कसले छै तेँ कृष्ण सुदामाक मित्रता मोन पड़ि जाईछ। दहेज विरोधी कथा दिव्या समाजक मंशा उजागरर केने छैक।

सबसं भीआईपी• गेस्टक रूपमे पत्निक समक्ष जेठभायक प्रति उपजव अपनत्व सँ कथा श्रेष्ठता देखाइतछैक। अपन-जाती जातीव्यवस्थाक कोढ़ पर चोट करैत छैक। इनारक पनिमे कथाकार आदर्शवादी तथ्य परसने छथि। हमर पत्निक मनोरथ हमर लॉटरी निकलल आ टेट्राहीरो गंभीर हास्य व्यंग पर आधारित कॉलेज खेलनिहारक वंशजक पोल खोलैत छैक, जे पाठकके ओतप्रोत करत। चलितर काकाक ब्लड प्रेशर नपनामे कथाकार पूर्णरूपेण समर्थ भेलाह अछि।एहि तरहे कटही सायकिलमे सुखांत दर्शन होयत। पाठकके शिक्षाक अंतिम उद्देश्य हम पापी छी कथा पढैत आ मनन करैत काल पात्रक अहमन्यता प्रकट होयत रहत। ग्रामीण जीवनक बड़पनक कथा अछि-मरजादक भोज, जाहिमे भाषा प्रवाहमयी आ स्वाद जीवंत छैक जे कन्यादानक अवसर पर ग्रामीण संग बरातिक सामूहिक भोजनक व्युतपन ढ़ंगे दूनूठाम सारे – बहनोई आयोजित करैत मरजादित हेवाक चेष्टामे अहंग देखेलनि अछि। रामबाबूक तेसर बेटी भारतीक वियाहमे मरबा पर भोजनक विन्यासक चर्च तँ अछिये जे पोथीक आवरण पृष्ठ पर सचित्र छपल दृश्य तेँ भोजकें पाछु छोड़यमे अगूएलैक; हमरोमोन पनिछाय लागल । पृथक स्वाद सब अन्नपानिक संग-संग कथाक रसगर सुआद पेएबाक लेल अवश्य पढ़ल जय ई मैथिलीक पोथी। अपना दिशसँ इहो कहब होयत जे किमत 250 डूबत नहिँ। 125 पृष्टक एहि पोथिकै पढ़बाक जिबटपन केर चलते कौखन लगीचाय जायत से थाह नहि चलत। जाहि पृष्ठभूमि सँ कथाकार लेखकीय काजमे उतरलाह से अपन बातमे बिस्तर सँ कहि देने छथि , तेँ बेसी किछु कहबाक खगता नहिं बुझाइछ। ओना ई संस्कृति सँ जुटल भारत-नेपाल में धूम मचेने छथि । आगूओ हिनक मेहनत रंग आनत आ पाठक बन्धूवान्धव लेल कोनो नव पोथी लोकार्पित होयत।

Imageलालदेव कामत
लेखक एवं स्वतंत्र पत्रकार
(जिला उपाध्यक्ष ओबीसी मोर्चा झंझारपुर – भाजपा)

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