जन्मदाता माँ-बाबूजी सँ लय क एखनतक जीवन में जिनका सँ किछु सिखबाक अवसर भेटल सब पूजनीय स्नेहीजन के सादर प्रणाम करैत “शिक्षक दिवस” के अशेष शुभकामना आ बधाई :: मणिभूषण ‘राजू’

।।गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

जन्मदाता माँ-बाबूजी सँ लय क एखनतक जीवन में जिनका सँ किछु सिखबाक अवसर भेटल सब पूजनीय स्नेहीजन के सादर प्रणाम करैत “शिक्षक दिवस” के अशेष शुभकामना आ बधाई।

हमर जन्म मिथिला में भेल मुदा होश सम्हारलाक बाद पालन-पोषण आ शिक्षा-दीक्षा पटना में भेल एहिलयक बिहारी प्रवृति बेसी सिखल।
बच्चा में पढ़ाई हनुमान नगर – कंकड़बाग, पटना के ज्ञान विकास विद्यालय में भेल आ ओतय स्व. श्री हीरालाल महतो जीवन के प्रथम शिक्षक भेलाह आ ओहि के बाद मैट्रिक टी के घोष अकेडमी, अशोक राजपथ, पटना सँ भेल ओतय स्व. आर. एन. सिंह के मार्गदर्शन भेटल।
ओहि के बाद अनन्त गुरूजी के आश्रय आ मार्गदर्शनक पश्चात 2001 ई. में ईंजिनियरिंग करय महाराष्ट्र गेलौं त संगमनेर, अहमदनगर कॉलेज में डॉ. अशोक कुमार मिश्रा गुरु भेलाह जिनक देल ज्ञान आ मार्गदर्शन स्मृति के कण-कण में बसि गेल।
हम मैथिल छी आ हमर एकटा पृथक अस्तित्व अछि बिहार आ आन प्रदेश सँ ई सर्वप्रथम हिनक सिखाओल अछि। अपन अस्तित्व आ अस्मिताक लेल लड़ब आ जीतब ई सीख देनिहार अशोक सर छथि। मूलत: भागलपुर के रहनिहार डॉ. अशोक कुमार मिश्रा हमर सबके अमृतवाहिनी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, संगमनेर के डीन आ प्रिंसिपल छथि।अपन घर सँ 2000 किलोमीटर दूर जाकय अपन मातृभाषा, मातृभूमि आ अपन मैथिल सँ जुड़ब आ एकजुटता सँ अपन समाज लेल लड़ब हिनके सिखाओल अछि।

ओहि ठाम एकटा महाराष्ट्रियन शिक्षक डॉ. राकेश पाटिल भेटलथि जे अपना संग महाराष्ट्र के संस्कृति के कण-कण सँ परिचय करौलथि आ तहने अपन मातृभूमि के लेल जनबाक ईच्छा मोन में प्रबल भेल आ मैथिलत्व के बोध बढ़ल।

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एकबेर पाटिल सर के पिताजीक श्राद्ध-कर्म में नासिक के सुदूर गाम में जेबाक अवसर भेटल छल। ओतय के परम्परा अपना ओतय के श्राद्ध परंपरा सँ मिलैत देखल आ ओतय परिचय पुछला पर जहन कहलौ हम मिथिला के ब्राह्मण छी त बुजुर्ग लोकनि एना भय प्रेम आ आशीष देलाह जे मोनक हर कोना में एखनतक बसल अछि।

कालेज में रहिते आ कॉलेज सँ निकललाक बाद मैथिलत्व हमर आत्मा में बसि गेल छल। जहिया कहियो गाम अबै छलौ त गामक हालत मोन के हृदय तक व्यथित कय दैत छल आ मोन में कतौ ई प्रण लेल छल कि अपन जीवनक उद्देश्य यैह राखब कि अपन मातृभूमि लेल सर्वस्व अर्पण कय यथासंभव स्थिति में सुधार अनबाक चेष्टा करब। मुदा पुन: दिल्ली-बंबई जाईत ई भावना कम भय जाईत छल आ अपन जीविकोपार्जन में लागि जाई छलौं, मुदा मोन में एकटा टीस रहिए जाई छल। पुन: गाम आबी त ओ दबल भावना बढ़ि जाई छल आ वापस गेला पर मोनक स्वप्न मोन तक सिमटि जाय छल।
विवाहोपरांत अपन संस्कृति के वृकृत होईत रूप सबहक ज्ञान भेल आ देखल कि केना लोक अपन संस्कृति सँ विमुख भेल जा रहल छथि। लोक अपन मातृभाषा , अपन परिचय , अपन मूल-गोत्र सब बिसरि विधर्मी भेल जा रहल छथि।
तहन अपन मातृभूमि मिथिला आ मातृभाषा मैथिली लेल जनजागरण संगहि सम्पूर्ण मिथिला एकीकरण के लक्ष्य लय स्व. पं. ताराकांत झा जी के प्रेरणास्रोत मानि कय “मैथिल मंच” के स्थापना कयल आ देशभरि के समस्त मैथिल संस्था आ मिथालाक गणमान्य लोकनिक सम्पर्क में एलौं। स्व. पं. ताराकांत झा, डॉ. बैद्यनाथ चौधरी ‘बैजू’, डॉ. अयोध्यानाथ झा, डॉ. धनाकर ठाकुर, रत्नेश्वर झा, अशोक झा, प्रेमचन्द्र झा, विद्यानाथ झा, सृष्टि नारायण झा, जीवकांत झा, उदयशंकर मिश्र, ईं. शिशिर झा, संजय मैथिल आदि अनन्य अभियानी लोकनिक मार्गदर्शन सँ संग आ समन्वय बनेबाक सतत प्रयास कयलौ।
तत्पश्चात 2016 सँ पूर्णरूपेण मिथिला अभियान में समर्पित भय गेलौ आ 2018 में दरभंगा पूर्णतया आवास बनेलौ।
मिथिला-मैथिली आँदोलन में ओना त सबगोटेक संग आ सहयोग भेटल मुदा एकटा अभिभावक जकाँ संग सहयोग आ मार्गदर्शन भेटल मिथिला-मैथिली के स्तंभ डॉ. बैद्यनाथ चौधरी ‘बैजू’ जी सँ। 2016 आ 2017 में दिल्ली में मिथिला राज्य आँदोलन आ मिथिलाक समुचित विकास लेल कतेको आयोजन कयल आ 2018 में “मिथिला राज्य परिसीमन जागृति यात्रा” लेल दरभंगा में सब मिथिला-मैथिली अभियानी लोकनि सँ भेट करबाक क्रम में बैजू जी सँ भेंट कयलौं। एकबेर में बात सुनि सीधा कहलाह जे विद्यापति सेवा संस्थान के जगह अहाँक जहि काज में उपयोग हुए नि:संकोच करू आ जे आवश्यकता होयत एहि अभियान में हम तैयार छी। एहि सँ पहिने बैजूजी सँ हमरा पारिवारिक भेंटघाट बहुत बेर छल, दिल्ली में कतेको बेर जंतर-मंतर पर अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति के धरना प्रदर्शन में भेंट छल। एहिके बाद सँ सतत हिनक मार्गदर्शन भेटि रहल अछि।
मैथिली आँदोलन सँ लय क मैथिलीके संविधान के अष्टम अनुसूची में शामिल करबा लेल हिनक प्रयास संग हिनक जीवन के बारे में नजदीक सँ जनबाक अवसर भेटल। मिथिला-मैथिली लेल अपन सर्वस्व न्योछावर कय अपन सीमित साधन संग भारत आ नेपालक मिथिला के एकीकरण के संकल्प एखनहु हिनक स्वप्न अछि। हमरा सबके ई असंभव लगैत अछि, बारंबार अनुरोधक बाबजूद ई अपन ओहि संकल्प के संग प्रतिबद्ध छथि। आजुक समय में पृथक मिथिला राज्य के लेल अपन मंच सँ लय कय हर जगह आवाज उठेनिहार एकमात्र अभियानी के रूप में हम हिनका देखल। जाहि रूपे हिनक छवि के वर्णण सुनल छल पहिले ओहिके एकदम विपरीत देखल आ ओहिसँ हमर मोन में स्वत: प्रेम आ हिनक मातृभूमि के प्रति भक्ति के अनुसरण होबय लागल।
आजुक एहि दिन अपन एहि गुरुजन सबके प्रणाम करैत सतत आशीर्वाद आ मार्गदर्शन के आशा करय छी।


1 Comments

  1. मिथिला मैथिली लेल अहाँक सत्संकल्प सब लेल प्रेरणा स्रोत बनय अहि शुभकामनाक संग स्नेहाशीष 👍

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