जानकी नवमी : मिथिला संग पूरा देश में धूमधाम सँ मनाओल गेल मिथिला राज्य संकल्प दिवस के रुप में

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जानकी नवमी : पूरा देश में धूमधाम सँ मनाओल गेल मैथिली दिवस आ मिथिला राज्य संकल्प दिवस के रुप में

समदिया । 12 मई 2019
मिथिला संग सम्पूर्ण देश में जगतजननी जगदम्बा माता सीता के प्रकाट्य दिवस बैशाख शुक्ल नवमी धूमधाम सँ मनाओल गेल। एखनतक प्राप्त जानकारी के अनुसार निम्नांकित जगह सँ जानकी पूजन के भव्य आयोजनक खबरि भेटल अछि:

1. विद्यापति सेवा संस्थान, दरभंगा
श्रीसीता प्राकट्योत्सव सह मैथिली दिवस समारोह आयोजित

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*दरभंगा :* किसी भी क्षेत्र की संस्कृति को वहां की भाषा और लिपि की स्थिति से समझा जा सकता है। दोनों में अन्योनाश्रय संबंध है। मिथिला की सांस्कृति काफी उदात्त रही है। आवश्यकता है कि हम अपनी भाषा और लिपि को संरक्षित करें और इसके विकास की दिशा में आगे कदम बढ़ाएं। यह बात ल.ना. मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति डा. सुरेंद्र कुमार सिंह ने कही। वे सोमवार को स्थानीय एमएमटीएम कॉलेज सभागार में आयोजित श्रीसीता पूजनोत्सव सह मैथिली दिवस समारोह में उद्घाटन भाषण कर रहे थे। विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित इस समारोह का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन करने के उपरांत कुलपति ने कहा कि मैथिली के विकास के लिए सभी आगे आएं। उन्होंने इस बात पर चिंता भी जताई कि मैथिली में छात्रों की संख्या नगन्य हो रही है। इस दिशा में सार्थक पहल करने की जरूरत है। इस मौके पर उन्होंने जानकारी दी कि मिथिलाक्षर पर केंद्रित संस्थानों की स्थापना विश्वविद्यालय में किया जा रहा है। उन्होंने सीता के माध्यम से जनजागरण के प्रयास के लिए संस्था को साधुवाद भी दिया। समारोह के मुख्य अतिथि कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. देवनारायण झा ने विविध शास्त्र-पुराणों से उद्धरण देते हुए कहा कि सीता के अनेक अर्थ हैं। सीता का अर्थ है जो हमारी रक्षा करें। इसके अलावा कृषि, कृषि यंत्र, गंगा की पूर्ववाहिनी धारा, खेत में हल से बनने वाले लकीर को भी सीता कहा जाता है। सीता राम की ह्लादिनी शक्ति हैं। सीता और राम में अभेद है। डा. झा ने सीता के निर्भीक व वीरत्व भाव को भी रखा। उन्होंने भगवती को समस्त ब्रह्मांड की उत्पादिका शक्ति कहा। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के पद से पूर्व कुलपति उपेन्द्र झा ने रुद्रमाल्य तंत्र से उदाहरण के साथ सीता और मिथिला की महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों को मैथिली पढ़ाना भी भगवती सीता के प्रति समर्पण है, क्योंकि सीता का नाम मैथिली है। उन्होंने मिथिला की धरती को पुण्य दायिनी बताते हुए कहा कि यहां जन्म लेने भर से मुक्ति होती है। विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति डा. रामचंद्र झा ने कहा कि माता का स्थान सर्वप्रमुख होता है। मां ही आदिगुरु होती हैं। ठीक उसी तरह जीवन में मातृभाषा का भी महत्व है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई की मातृभाषा के विकास में संस्कृत के पंडित वर्गों की भूमिका रही है। पहले वे व्यवस्था पत्र, टिप्पणी, कर्मकांड आदि के निर्णय मैथिली में दिया करते थे, किंतु इन दिनों ऐसा नहीं हो रहा है। हालांकि उन्होंने माना की परिवर्तन शाश्वत सत्य है। विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति डा. विद्याधर मिश्र ने भी अपने विचार रखें और सीता को सर्वोपरि बताया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए पूर्व विधान पार्षद डा. विनोद कुमार चौधरी ने राज्य सरकार की ओर से जानकी नवमी पर अवकाश दिए जाने तथा विद्यापति पर्व को राजकीय समारोह का दर्जा दिए जाने कि चर्चा करते हुए मैथिली में छात्रों की संख्या बढ़ाने का आग्रह सभी उपस्थित लोगों से किया। इस अवसर पर डा. विद्यानाथ झा ने मिथिला में कचरा झाड़ की पूजा की परंपरा को पंचांग में स्थान दिए जाने की आवश्यकता जताई, ताकि इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित होने का अवसर मिले। साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत मैथिली के कवि-साहित्यकार व पत्रकार डा. अमलेन्दु शेखर पाठक ने संचालन करते हुए कहा कि सीता विश्वदेवी हैं। राष्ट्रमाता हैं। राष्ट्रीय एकता के भाव को सीता के माध्यम से और पुष्ट किया जा सकता है। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से प्रासंगिक हैं। मौके पर कोलकाता से आए साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार से सम्मानित नवीन चौधरी, पूर्व प्रधानाचार्य डा. अनिल कुमार झा, डा. राममोहन झा, रामदयाल महतो ने भी विचार रखे। वैचारिक सत्र का समापन संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डा. बुचरू पासवान के आभार से हुआ। कालेज के प्रधानाचार्य डा. उदयकांत मिश्र, हरिकिशोर चौधरी मामा, प्रो. चंद्रशेखर झा बूढ़ाभाइ आदि की सक्रिय सहभागिता रही। इस मौके पर उपस्थित अतिथियों का अभिनंदन मिथिला की परंपरा के अनुसार पाग, चादर और माला से किया गया।

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*शिवधनुषधारिणी की हुई षोडशोपचार पूजा*
श्रीसीता प्राकट्य दिवस पर शिवधनुषधारिणी भगवती सीता की भव्य प्रतिमा स्थापित कर शास्त्रीय विधि से षोडशोपचार पूजन किया गया। पौरोहित्य किया प. ललन झा ने और यजमान रहे मैथिली विभाग के डा. अमलेन्दु शेखर पाठक। उपस्थित लोगों ने भगवती की स्तुति में शिरकत की। शाम के समय सामूहिक आरती की गई। मंगलवार को पूर्वाह्न में प्रतिमा का विसर्जन होगा।

*जानकी सम्मान से नवाजी गईं लक्ष्मी*
सीता प्राकट्य दिवस के मौके पर इस वर्ष से जानकी सम्मान प्रदान किया जाना आरंभ किया गया। पहला सम्मान साहित्य-साधिका लक्ष्मी सिंह ठाकुर को प्रदान किया गया। मिथिला की परंपरा के अनुरूप पाग, चादर व माला से उन्हें अभिनंदित करने के साथ ही ताम्रपत्र दिया गया। उल्लेखनीय है की यह सम्मान प्रतिवर्ष एक महिला को प्रदान किया जाएगा जिन्होंने किसी विशिष्ट क्षेत्र में अपना योगदान किया हो। कई पुस्तकों की लेखिका लक्ष्मी सिंह ठाकुर व्यक्तिगत स्तर पर बाबूजी पुस्तकालय की स्थापना करते हुए उसे सार्वजनिक रूप से विस्तार देने मैं जुटी हैं। मिथिला की ज्ञान-परंपरा को आगे बढ़ाने को उन्हें यह सम्मान दिया गया है।

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*सीता मंदिर का होगा निर्माण*
मैथिली दिवस समारोह के मौके पर अपना विचार रखते हुए मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष कमलाकांत झा ने साहित्यिक एवं सांस्कृतिक विचार मंच ऋचालोक द्वारा सीता मंदिर की स्थापना की दिशा में पहल करने की चर्चा करते हुए आह्वान किया कि भगवती सीता का एक भव्य मंदिर मिथिला क्षेत्र में स्थापित किया जाना चाहिए। श्री झा के वक्तव्य पर विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा. वैद्यनाथ चौधरी बैजू ने घोषणा की कि अगले वर्ष तक संस्थान की ओर से दरभंगा में सीता मंदिर स्थापित किए जाने का प्रयास किया जाएगा। उपस्थित लोगों ने करतल ध्वनि से इस प्रस्ताव को पारित किया। डा झा ने मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति से दीक्षांत समारोह में पाग को स्थान देने का भी आग्रह किया।

*संगीत की धारा में गोते लगाते रहे लोग*

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मैथिली मंच की चर्चित गायिका डा. ममता ठाकुर के द्वारा विद्यापति रचित गोसाउनिक का गीत से आरंभ समारोह में कलाकारों ने गीत-संगीत के माध्यम से भक्ति की धारा प्रवाहित की और मिथिला-मैथिली की खुशबू को बिखेरा। अनुपमा मिश्र ने ‘मिथिला के धिया सिया जगत जननि भेली धरनी बनल सुरधाम हे’ गाकर माहौल बनाया। वहीं कंचन कुमारी ने ‘अपना किशोरी जी के टहल बजेबै’ के साथ वातावरण को सीता भक्ति के रस में निमग्न कर दिया। ओमप्रकाश सिंह ने प्रभु राम के मिथिला आगमन पर स्वागत गीत से अतिथियों का स्वागत किया। वहीं कन्हैया के साथ मिलकर उन्होंने आहाँक दरस लागी रकटल अखियां बेटी’ गाकर सभी को भाव विभोर कर दिया। इस अवसर पर जीवकांत मिश्र के संचालन में चर्चित गायक कुंज बिहारी मिश्र, दुखी राम रसिया, नीतू कुमारी आदि ने भी सीताराम से संबंधित अनेक गीत प्रस्तुत किए। वाद्ययंत्रों पर कलाकारों ने जलवे बिखेरे। तबला पर रमेश कुमार मल्लिक, हीरा कुमार झा, कौशिक मल्लिक, कैसियो पर इन्द्रकान्त झा व पैड पर बिंदु कुमार ने अपनी कला का प्रदर्शन किया।

2. जानकी पूजन समारोह , शिवनगर

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3. मैथिली महिला संघ , पटना

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4. मैथिल समन्वय समिति, मुम्बई

मुम्बई में हर्षोल्लास एवं धूमधाम सँ जानकी नवमी पूजन के आयोजन कयल गेल ।
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मुलुण्ड स्थित मैथिल समन्वय समिति के केन्द्रिय कार्यालय में जानकी नवमी पूजन बहुत भक्तिमय और उल्लासपूर्ण वातावरण में आयोजित कयल गेल ।एहि अवसर पर भगवती जानकीजी के श्रीविग्रह पर पुष्पांजलि अर्पित कयल गेल । एहि अवसर पर राजकुमार झा, श्रीमती इन्दू झा, डॉ. प्रतिभा झा, संगीता झा, रंजू झा, अंगद चौधरी, भारतेन्दु विमल झा, पंकज झा, प्रमोद कुमार झा, पत्रकार के. के. झा, पंकज ठाकुर, आनंद कुमार, शिवानंद मिश्र, नरसिंह भगत, राकेश झा, राजेश झा, पवन कुमार झा सहित अनन्य उपस्थित छलथि ।

5. वैदेही आ दीपक फाउंडेशन, दिल्ली

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6. मैथिली लोक संस्कृति मंच लहेरियासराय, दरभंगा

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मैथिली लोक संस्कृति मंच लहेरियासराय दरभंगा के तत्वावधान में आयोजित जानकी जन्मोत्सव वंगालीटोला स्थिति कार्यालय में मनाया गया।जिस अवसर पर मां जानकी की पूजा मातृ शक्ति द्वारा संचालित की जाती है।पूजन गायन आरती बंदना की जाती है।दिन के ठीक 12 बजे जानकी नवमी को सीता जी की आरती “भय प्रगट कुमारी भुमि बिदारी
जनहितकारी भय हारी।
अतुलित छवि भारी मुनिमन हारी जनक जनक दुलारी सुकमारी।”
के गायन के संग शंखनाद घरी घंटी बज उठी और पुस्प की बर्षा संग जन्मोत्सव मनाया गया।बाद में प्रसाद वितरण हुआ। इस अवसर पर वीणा मिश्र रेखा मिश्र सोनम चौधरी भाग्य श्री रबिना जयश्री राम राघव करूणा निधान अमर कुमार एवं महासचिव प्रो उदय शंकर मिश्र ने भाग लिया।यह अनवरत सात दिवसीय जानकी जन्मोत्सव त्रीकाल पूजन गायन चलता रहेगा।

प्रो उदय शंकर मिश्र महासचिव मैथिली लोक संस्कृति मंच लहेरियासराय दरभंगा

7. एम एस यू, मधुबनी

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8. जानकी पूजन, परजुआरि

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9. विद्यापति परिषद, समस्तीपुर

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10. अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति, दिल्ली-NCR

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