स्व. श्री अवध नारायण( १८८५-१९५५ )


Image

दरभंगा के शुभंकरपुर निवासी  स्व. श्री अवध नारायण( १८८५-१९५५ ) , आचार्य रामलोचन शरण के अनन्य मित्र थे । स्व. अवध नारायण दरभंगा में अपने उपनाम ‘ दमड़ी बाबू ‘ से विख्यात थे . साहित्य की ओर इनका बाल्यकाल से ही झुकाव था । इन्होंने अपने साहित्यिक जीवन का प्रारम्भ अंग्रेज़ी लेखन से किया था । १९१० में ‘सरस्वती’ पत्रिका पढ़कर उन्हें उपन्यास लिखने की प्रेरणा मिली ।इनका हिंदी उपन्यास ‘ विमाता ‘ का प्रथम संस्करण १९१५ में प्रकाशित हुआ , द्वितीय १९२२ , तृतीय १९२८ , चतुर्थ १९३५ में फिर पाँचवा और छठा संस्करण प्रकाशित हुआ जो इसकी लोकप्रियता को दर्शाती है . ‘विमाता’ उपन्यास पारिवारिक जीवन का महाकाव्य कहा जा सकता है । उस युग के अन्य उपन्यासों की तुलना में इसमें यथार्थ- परक तत्वों का समावेश अधिक है ।इनका एकमात्र कहानी संग्रह झलक हिंदी में १९३६ में प्रकाशित हुआ जो काफ़ी लोकप्रिय हुआ । अंग्रेज़ी में Diamond Reid उपन्यास १९०२ में प्रकाशित हुआ ।
इनके सबसे छोटे पुत्र श्री मंगल प्रसाद दरभंगा के राज स्कूल में हमारे शिक्षक थे . स्व . अवध नारायण के दौभित्र (नाती)स्व. सुशील प्रसाद सिन्हा बिहार विधान परिषद में उप सचिव थे जो दरभंगा राज स्कूल के विद्यार्थी थे ।

Imageरमण दत्त झा
दरभंगा