कवीश्वर चन्दा झा


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कवीश्वर चन्दा झा (20/1/1831 – 14/12/1907)
मूल नाम: चन्द्र नाथ झा।

जन्म स्थान : पिण्डारुछ (दरभंगा)

कर्म स्थान: ठाढ़ी (दरभंग-आब मधुबनी)

कवीश्वर आ कवि चन्द्र का उपाधि सँ विभूषित ।

कवीश्वर चन्दा झाक व्यक्तित्व बहुआयामी ओ पारदर्शक छल । ई गीतकारक संग महाकवि छलाह। संगीत शास्त्रक मर्मज्ञ आ तत्ववेता छलाह । जकर विराट प्रदर्शन हिनक प्रवंध-मुक्त काव्यमे देखल जाइत अछि । ई अनुवादक रुपमे सुविख्यात आ गद्यक प्रवर्तक छलाह । पुरुष-परीक्षाक गद्य-पद्यक अनुवाद साहित्येतिहासक एक ऐतिहासिक उपलब्धि थिक । कवि चन्द्र व्यक्तित्वमे गीतकार ओ प्रवंधकारक अद्भूत संयोग अछि । संपादनक रुपमे साहेब रामदासक गीतावलीक कुशल संपादन कएलनि । एकर अतिरिक्त चंदा झा सुमधुर गायक , महान समाजसेवी , समर्पित साधक आ एकनिष्ठ भक्त छलाह । एक दिस भक्तिमूलक पद लिखलनि तँ दोसर दिस समाज , सत्ता , शासन ओ व्यवस्थामे व्याप्त गरीबी , अभाव , भूख , कुशासन , भ्रष्टाचार , शोसन-दोहनक नग्न चित्रण अपन कविताक माध्यम सँ कएलनि । मिथिलाक प्राचीन इतिहासक सेहो अन्वेषण कएलनि । मिथिलाक प्राचीन इतिहास , पुरान मंदिर , तीर्थ , जलाशय , डीह-डाबर सभक पुरुद्धानक श्रेय हिनके छनि ।

कविश्वर चंदा झाक रचना संसार
1 वाताह्न , 1889 मे प्रकाशित ।
2 लक्ष्मीश्वर निवास , 1888मे
3 मिथिला भाषा रामायण , 1892मे
4 गीत शप्तशती , 1902मे
5 संगीत सुधा , 1902मे
हिनक मृत्युपरान्त प्रकाशित संकलन –
1 महेशवाणी , 1920मे
2 चन्द्रपदावली , 1931मे
3 चन्द्ररचनावली , 1981मे
हिनका द्वारा अनुवादित पोथी
1 विद्यापतिक संस्कृतक पोथी “पुरुष-परीक्षा” 1888मे
हिनक द्वारा संपादित पोथी
1 संतकवि साहेव रामदासक गीतावली , 1901मे

एकर अतिरिक्त कतेको पोथीक रचना ओ प्राचीन कविक हरायल रचना सभक खोज कए संकलित
कएलनि ।

मुदा कतेक दुखक बात अछि जे कृतघ्न मिथिला अपन एहन विभूतिकेँ विसरि गेल अछि । जौँ मैथिली साहित्यक गप करू तँ लोक विद्यापति छोड़ि आन साहित्यकारक नाम नहि जनैत छथि । जखन कि मिथिलामे अनेको विभूति भेल छथि , जिनक मार्गदर्शन मिथिलाकेँ अधोगति सँ बचा सकैत अछि । कविवर वैद्यनाथ मिश्र यात्री अपन मुक्तक कविता “माँ मिथिले”मे कविश्वर चंदा झाक आन मैथिल विभूति संग एहिरूपेँ केने छथि-

“लक्ष्मीनाथक योगध्यानमे
कविचन्द्र(चन्दा झा)क कविताक गानमे
नृप रमेश्वरक उच्च ज्ञानमे
आभा अमल अहाँक
विद्याबल विभवक गौरवमे
अहँ छी थोर कहाँक ?”

मुदा खेदक विषय अछि जे मैथिल आधुनिक मैथिली साहित्यक प्रारंभ केनिहार कविश्वर चन्दा झा पर मौन छथि । हिनक नहि कोनो चर्चा आ नहि हिनका लेल कोनो दिवस मनाओल जाइत अछि । कतेक दुखक गप अछि जे मिथिलाक आदि आ अंत विद्यापति पर भए जाइत अछि । लगैए जेना एखनहुँ अपने सभ प्राचीने कालमे छी ।

मिथिलाक एहि पुत्र केँ शत-शत नमन ।