सहकार भारती आ श्रध्देय लक्ष्मणराव ईनामदार :: सुभाष कुमार कामत

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सहकार भारती आ श्रध्देय लक्ष्मणराव ईनामदार

सहकार भारती गठन लेल अपन भूमिका निमाहैत श्रध्देय वकील साहब जिनक पुरनाम थीक — लक्ष्मणराव इनामदार , ओ कमजोर आ निम्न तथा मध्यमवर्ग केर हीत रक्षार्थ सहकारी आंदोलन ठाढ करबाक आग्रही रहथि। महाराष्ट्र’क सातारा जिलाक खटाव गाममे भाद्रपद शुक्ल पक्ष ऋषि पंचमी केँ तदनुसार २१ सितम्बर १९१७ई०मे हुनक जन्म भेलनि,आ १५जुलाई१९८५केँपुणामे कैंसर रोगसँ निधन भ’ गेलनि। लक्ष्मणराव इनामदार “अधिवक्ता” कोपरेटिव क्षेत्र में त्याग, सरलता, विनम्रता, निराभिमानता सादगी आ देशभक्ति मूर्तिमंत प्रतीक रुपेँ जानल जाइछ। गुजराती भेष भूषा, व्यवहार विचारक संगे चिन्तन सँ ओ पूर्ण रूपेण भारतीय रहथि स। परस्पर अन्योन्याक्षति सहयोग आ सहकार हुनका जीवनक विशेषता रहैक। से ई संरकार हुनका पारिवारिक विरासत में भेतल छलैक। महाराष्ट्रमे गामक संग उपनामक प्रथा छैक;जाहिसँ हूनक परिवार खटाव सँ खटावकर कहेलाह । इनामदार उप नामक पांछा एकता आती ऐतिहासिक कारण उनका परिवार सँ जुटलैक। उनके पूर्वज में श्री कृष्ण राव खटाव कार भेल रहथीन । जय छत्रपति शिवाजी हुंकार पुत्र संभाजी तीनक पुत्र साहू जी महाराजक कालखंड में अपना जीवन के स्वराज्य सेवा में लगा देने राहथी। ओही समय ऐहन समर्पित व्यक्तित्व के भूमि इनाम मे महाराजा दिश सँ डेल जाईक , से हुनको सरदार सँ नवाज एक जमींन देल गेलानि। चाहिये सँ ई परिवार खटावकर सँ इनामदार ” उपाधि ” मेँ जगजीयार भेलैक । वकील इनामदार जीक शिक्षा दुर्धोही ( सातारा ) मैं बाल सखा गोपाल भाई गुर्जर केर संगे भेलनि । लक्ष्मण राव जीक संयुक्त परिवार मे हुनक पिताजी दू भाई आ छह बहिन, जाहिमे चारिटा दिदीजी बिधवा रहथिन, सेहो बालबच्चाक संग ओतहि रहैक। आ अपने रावजी उर्फ ओकिल साहेब सेहो सात बार आ दू बहिनमे बड़का भाय रामभाऊ आ छोटका भाय किशन राव कें फराक – फराक बुझेलनि जे पैघ परिवारमे एकरंग सोभाव आर्थिक तंगई आ खींचतान सँ भिन्न रैहतो कियो भिन्न नहि होयब।एहि एकता सँ गाममे कोनो नव विचार ल’केँ आबय बाला सज्जन वृंध सुनके ओहिठाम टिकायल जाईक आओर विमर्श होइक। १९३९मेओ एल०एल०बी० पढ़ाई करैत रहैथ, ताहि कालखण्डमे सातारा हैदराबादक निजाम केँ तहत अबैत रहैक। तकरों अत्याचारक विरुद्ध अपन कालेजक १५०साथीक संग आन्दोलनमे भाग देलनि । १९४३मे संघ प्रचारकार्य सँ गुजरातमे कार्यकर्ता बनि रहि गेलाह।हुंकार कार्यशैली पर मुग्ध होइत मा०दत्तोपंत ठेंगड़ीजी हुनक प्रशंसा धरि केलनि। पू०पांडुरंग शास्त्री आठवले जी हुनक जीवन संदर्भमे कहने छथि-“लक्ष्मणराव करोंड़ों लोकमे भारतीय परम्परा क’उद्देश्य अनुरूप संस्कार ,ध्येयनिष्ठा ,दृढमनोबल ,देश आ धर्मक लेल समर्पित तथा मानवीय संस्कार सँ ओतप्रोत समाज आ राष्ट्र के अतिसुंदर गमगमाइत पुष्प छलाह। ” ओ नित्य डायरी लिखैत छलाह आ आलस्य केँ दुर करैत खो-खो,कब्बडी खेल तथा योगासन व्यायाम आदिक प्रचारक धरि बनल रहलाह। आधुनिक कालमे प्रो०आर सी मजूमदार जीक प्राचीन भारतमें सहकारिता युक्त जीवनमे २७ तरहक उल्लेखित को-औपरेटीव के समर्थक रहलाह ।१९०४ई०मेँ जे २०वीं शताब्दीक कानूननरूप ग्रहण भेलैक ,तकरा सरकारी उपक्रम किसानक लेल सोसाइटी गठीत हरेक राज्यमे होइ ; ६०केर दशकमे लड़खराईत दोषग्रसित स्वाहाकारीताके फेरसँ सहकारिता दिवस उन्मुख होयबामे प्राण फुकलनि हुनका सँ बहुतों लोक श्रेष्ठ प्रजातांत्रिक पध्दतिक अनुभव प्राप्त कयलनि।एहिसँ देशमे समृध्द व स्वाबलंवन ‘क मजगुत ताना बाना बनल अछि। तीन शाल पूर्व हुनक जन्म शताब्दी वर्ष नव संकल्प संग नवदिशा द रहलैक अति। विशेष नमन।

सुभाष कुमार कामत
मधुबनी , बिहार

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