मिथिला विभूति : बदरी नाथ झा (१८९३-१९७९ )

मिथिला क बदरी नाथ झा (१८९३-१९७९ ) प्रख्यात कवि जे कविशेखर क रूप में चिन्हल जायत छलाह . हिनक जन्म सरिसव गाम , मधुबनी , में भेल छल . वो संस्कृत व्याकरण आ साहित्य क अध्ययन केला आ बहुत रास परिझा उत्तीर्ण केला जेना व्याकरण –तीर्थ ,काव्यतीर्थ आ दरभंगा राज द्वारा संचालित मशहूर धौत-परीक्षा . धौत- परीक्षा में हिनका प्रथम स्थान प्राप्त भेल जाहि से वोहि समयक संस्कृत विद्वान में गौरवपूर्ण स्थान भेटल . भारत धर्म महामंडल द्वारा १९१५ मे बनारस में आयोजित संस्कृत विद्वान क समारोह में हिनका कविशेखर क उपाधि से सम्मानित काएल गेल . १९६७ में कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा विद्या – वाचस्पति क डिग्री प्रदान काएल गेल . ओ धर्मं समाज कॉलेज , मुजफ्फरपुर से संस्कृत क प्रोफेसर से १९४८ में सेवानिर्वित भेला जहि ठाम वो १९१७ से संस्कृत क अध्यापन क रहल छला . दरभंगा में १९४८ में आयोजित आल इंडिया ओरिएण्टल कॉन्फ्रेंस में कविशेखर बद्रीनाथ झा संस्कृत कवी सम्मलेन क सभापति छलाह . संस्कृत में २० क करीब पोथी जही में ‘ राधा -परिणय’ अतुलनीय अछि . संस्कृत में नाम केलाक बाद मैथिली में सेहो काज केलैथ , एकावली- परिणय , संस्कृत – मैथिली कोश , मैथिली- गीता – रत्नावली , आ मैथिली पद्यमाला. वो बहुत रास मैथिली में आलेख आ लेक्चर श्रृंखला पी . जी .डिपार्टमेंट , पटना यूनिवर्सिटी क तत्वाधान में प्रस्तुत केलैथ जेकर पाण्डुलिपि काव्य – विवेक प्रकाशन लेल पटना यूनिवर्सिटी क संरक्षण में अछि . एकावली – परिणय में एक हजार छः सौ कविता अछि . मैथिलि साहित्य में ई महाकाव्य हुनका अमर क देलक .
मिथिला विभूति क स्मरण…


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