बाबू गंगापति सिंह-खंडवाला कुल में 1894ई में जन्म भेल छलनहि।मूलतः पचही निवासी जे लखनौर अपन सासुर में रहैत छलाह।अखनहो हिनक परिवार लखनौर हाट लग लखनौर के मूल वासी भ चुकल छथि।पारवारिक नाम जयसुन्दरजी।हिनक विद्वता के आकलन कोनो मिथिला के विद्वान नहिं कय सकलाह।कोलकाता विश्वविद्यालय में मैथिली के स्वीकृत लेल बहुत सक्रिय छलाह।कलकाता विश्वविद्यालय में मैथिली स्वीकृत दिसम्बर 1919ई में भेटलैक।गंगापति सिंह जनवरी 1920ई में (टंकनाथ स्नातकोत्तर व्याख्या,मैथिली ओ हिन्दी) प्राध्यापक बनलैथ।पहिल मैथिली आओर हिन्दी प्राध्यापक बनबा के सौभाग्य मिथिला के भेटल।कलकत्ता विश्वविद्यालय भारत के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय छल।सर आशुतोष मुखर्जी के देहांत भेला पर बाबू गंगापति सिंह के नौकरी छूटि गेलनहि कियाकि मात्र स्नातक कएने छलाह।1925 के उपरान्त लखनौर आबि साहित्य साधना में लागि गेलाह।पटना विश्वविद्यालय मे मैथिली के प्रवेश में हिनक महत्वपूर्ण योगदान रहल।
हिनक सान्निध्य में कतेक मिथिला के प्रसिद्ध विद्वान भेलाह।बाबू गंगापति सिंह बहुभाषाविद छलाह।रूसी भाषा सॅ हिन्दी में अनुवाद नरपशु आओर शान्ति ।फ्रांसीसी भाषा फ्रेंच सॅ हिन्दी में अनुवाद प्रेम -चक्र कएलैथ।हिनक तीन प्रकाशित पोथी के जानकारी उपलब्ध अछि-सुशीला(1943),बच्चा के माय आओर जयचन्द पराजय।बाल व्याकरण (1922) जे मैथिली व्याकरण के महत्वपूर्ण पुस्तक अछि।हिन्दी में रामकृष्ण परमहंस के जीवनी।सम्पादित आओर सहसम्पादित लघु मैथिली गद्ध -पद्ध संग्रह ,प्रवेशिका मैथिली गद्ध -पद्ध संग्रह (1929ई) आओर आदर्श मैथिली गद्ध -पद्ध संग्रह ।सामा-चकेबा आओर श्री चामुंडा देवी हिनक अन्य रचना ज्ञात अछि।बहुत रचना अप्रकाशित आओर अनुपलब्ध अछि।
बच्चा सॅभ सॅ बहुत प्रेम छलनहि।बच्चा सॅभ संगे बच्चा जेकाॅ खेलायत रहैत छलाह आओर बच्चा सॅभ बाबा बाबा भूत हओ ,बाबा उत-उत बा,बाबा उत उत आ आदि कहैत छलनहि।बच्चा सॅभ के प्रसाद बॅटैत रहैत छलाह।30-11- 69 के लखनौर में देहावसान महान पुरूष के भेलनहि। अन्तिम समय में मिथिला के विदुशी पर लिखलैत मुदा रचना चोरी भ गेलनहि।प्रकाशित नहि भेलनहि।आभार- डाक्टर श्रीपति सिंह आओर फोटो साभार रामानन्द झा रमण।।