Interview With Mukti Jha


Mukti Jha

मिथिला में रोजगार के आपार संभावना अछि। मिथिला में हजारों एहन विधा अछि जहिमें निपुणता लय लोक अपन स्वरोजगार सँ एकटा सुखमय भविष्य के कामना कय सकय छी। मिथिला पेंटिंग आ मिथिलाक विभिन्न कलाक विधा के औद्योगिक रूप सँ विकसित करबाक प्रयास में सतत कतेकों बर्ष सँ लागल कलाकार श्रीमति मुक्ति झा के साक्षात्कार हेतु किछु प्रश्न:-

1. सबसँ पहिने दर्शकगण आ समस्त मिथिलावासी के अपन संक्षिप्त परिचय दिय।

उत्तर : हमर नाम मुक्ति रंजन झा अछि। नैहर में हमरा लोक प्रेम सँ ‘अंकू’ कहय छथि आ सासुर में ‘चित्रा’ । हमर गाम अछि तीसी बलिया, ई बेनीपट्टी लग अछि मधुबनी जिला में। हमर पूरा पढ़ाई-लिखाई पटना में भेल अछि। SMU सँ BBA कलयाक बाद मैथिली विषय सँ बीए आ एमए कयलौ पटना विश्वविद्यालय सँ। हमर सासुर गाम बरदाहा, जिला मधेपुरा में अछि। विवाहोपरान्त हम औरंगाबाद, महाराष्ट्र में रहय छी।

2. आजुक समय में जहन लोक आधुनिक शिक्षा आ पाश्चात्य चमक दिस भागय छथि त आहाँके अपन माटि के कला के तरफ ध्यान कोना भेल? किछु कहू?

उत्तर : अपन माटि, भाषा आ कला के तरफ हमर आकर्षण के पूरा श्रेय हमर बाबूजी (वैद्य श्री गणपति नाथ झा) के देबनि, अपन मिथिला के कला जगत के नव रुप में देखय के नजरिया हम हुनके सँ प्राप्त कयने छी। हुनके विचार आ मार्गदर्शन में हम BBA कयलाक बाद आगा MBA कय रोजगार करय के विचार त्यागि मैथिली सँ BA आ MA करबाक संगहि “मिथिला पेंटिंग” में निपुणता लय नव स्वरोजगार सृजन के दिशा में सतत प्रयासशील भेलहुँ।

3. मिथिला पेंटिंग आ अन्य कला सिखय सँ लय क नव प्रयोग संग ओकरा रोजगार सँ जोड़य के प्रेरणा कतय सँ भेटल??

उत्तर : मिथिलाक विभिन्न कला के देखबाक आ सिखबाक मौका हमरा हमर गाँव आ नानीगाम के महिला सबसँ भेटल जे अपन घरक काज संग सिलाई, कढाई,आ चित्रकारी सँ अपन घर के सजबैत छलीह आ ओहि समान सबके बेटा-बेटीक विवाह में साँठय लेल सहेज कय रखैत छलीह।हमर नानीगाम महमदपुर, बेनीपट्टी में धनौजा गामक नानी छथिन मंजु देवी (चश्मावाली नानी) सँ हम बहुत चीज सिखलौ जे बिना कोनो सहयोग के गामक लड़की सबके सिलाई-कढ़ाई सँ लय क गामक पारम्परिक चित्रकलाक प्रशिक्षण दैत छलथि। SMU सँ BBA करैत संग हमहूँ “मिथिला पेंटिंग” संग आर अन्य कला के प्रशिक्षण लैत रही, ओहि समय में बिजनेस आ कला दूनू ज्ञानक अनुभव आ बाबूजी के मार्गदर्शन सँ एहि सब कला में नव प्रयोग संग बेसी सँ बेसी लोकतक पहुँचा कय एहि सँ रोजगार सृजन हेतु प्रयास प्रारंभ भेल।

4. एकटा कलाकार के रूप में आहाँ की की समस्या के सामना कयलौ आ ओकर समाधान आहाँ के हिसाब सँ की भय सकैत अछि?

उत्तर : एकटा कलाकार के रूप में बहुत तरहक समस्याक सामना कयने छी। सिखय सँ लय क निपुणता हासिल करय तक हर स्तर पर नव-नव समस्या के सामना भेल आ माँ भगवती के कृपा सँ सतत समाधान सेहो भेटैत रहल।कतेक समस्या भेल एकर अनुमान आहाँ एहि बात सँ लगा सकय छी कि 2005 सँ सिखबाक लालसा प्रारंभ भेल आ 2013 ई. में गुरुजी नवल किशोर दास जी के मार्गदर्शन भेटल  पटना में। एहि बीच में “मिथिला पेंटिंग” प्रशिक्षण के अनेको संस्थान आ व्यक्ति भेटलथि जिनका सबके प्रशिक्षण सँ बेसी पैसाक बेगरता रहैत छलनि।
अपन जीवन के एहि सब कटु अनुभव सँ हम निर्णय लेलौं कि हमरा जतय मौका भेटत, इच्छुक छात्र-छात्रा के नि:शुल्क ई सब कला सिखायब आ पछिला 6 साल सँ बेसी सँ सतत Mukti Art Gallary के माध्यम सँ Online आ Offline प्रशिक्षण के काज कय रहल छी।

5. आहाँ एकल काज करय सँ नीक सामूहिक प्रयास बुझय छी। आहाँक Mukti Art Gallery में एकाधिक कलाकार स्वतंत्र रूप सँ काज करय छथि। एहि में की की सुविधा आ असुविधा होईत अछि?

उत्तर : हम पहिले कहलौ प्रशिक्षण सँ लय क एखनतक हम हर जगह जेहि समस्याक हम सामना कयलौ ओ कोनो दोसर कलाकार के नहिं होई एहि लेल सामाजिक संस्था “मैथिल मंच” के संग Mukti Art Gallery के निर्माण कयलौं आ सतत प्रयास कयलौ जे नव-नव कलाकार के एक मंच सँ जोड़ि एकटा सामूहिक प्रयास कयल जाए आ बेसी सँ बेसी कलाकार के स्वावलंबी बना सकी हमसब। एखनतक 38 टा सँ बेसी कलाकार हमरा सबसँ जुड़लथि जहि में किछु सतत संग छथि जेना गाजियाबाद सँ श्रीमती इन्दु झा, मधुबनी सँ श्रीमति नमिता झा, पटना सँ मधु झा आ श्रीमती अर्चना, दरभंगा सँ सुश्री राखी चौधरी, सहरसा सँ सुश्री अर्चना झा आ चैनपुर सँ सुश्री श्रुति, दिल्ली सँ श्री अवधेश कर्ण आ प्रभा कर्ण आदि बहुत कलाकार छथि।
बहुत कलाकार जुड़य छथि आ बाद में कोनो ने कोनो बात पर नाराज भय अलग भय अपन नव संस्था बना लैत छथि, मुदा विश्वास करू जे Mukti Art Gallary अपन कोनो सहयोगी कलाकार सँ एक टकाक सहयोग नहि लैत अछि अपितु एकटा विशाल कार्यक्षेत्र प्रदान करैत अछि आ एकटा मंच प्रदान करैत अछि।

Nutan Agarbatti

6. मिथिला पेंटिंग में आहाँक नव-नव प्रयोग सतत चर्चा के विषय रहैत अछि। अपन नव प्रयोग सबके बारे में किछु कहू?

उत्तर : मिथिला पेंटिंग में प्रशिक्षण लेबाक उपरांत हमर पहिल उद्देश्य छल अपन गाम घरक पारंपरिक मिथिला चित्रकला के किछु लोकक घर सँ बाहर निकालि देश के हर घर तक पहुँचेनाई । एहि लेल हम मिथिला चित्रकला के गामक अरिपन सँ लय क लोक के रोजमर्रा के चीज सँ जोड़बाक प्रयास कयलौ जे सबगोटे द्वारा बहुत पसंद कयल गेल। मिथिला पेंटिंग सँ बनल सलवार-सूट, साड़ी, दोपटा, कुर्ता-बंडी सबसंग टी-शर्टस, लेडिज टाप, स्टोल, गाऊन्स आदि संग मिथिला पेंटिंग सँ बनल टी-कोस्टर, टाई, केतली, लेडीज पर्श, पेन स्टैंड, स्टडी लैंप, डगरा पेंटिंग, बाँसक कला पर मिथिला पेंटिंग, आ माटिक बनल सजावट के समान पर मिथिला पेंटिंग्स आदि सब हमर सबके नव प्रयोग छल। पेपरमैसी आ मिथिला पेंटिंग के समन्वय सँ बनल सैकड़ो सजावट के समान हमर सबके नव प्रयोग अछि। मिथिला आ मैथिली सँ जुड़ल संस्था आ साहित्यकार सबके हमसब सतत अनुरोध करय छी जे ओ अपन लोगो आ अन्य बैनर आदि कोनो ने कोनो कलाकार सँ बनबाबी आ साहित्यकार सबसँ अनुरोध करैत रहय छियनि जे अपन पुस्तक के कभर पेज, मिथिला पेंटिंग के कलाकार सँ सशुल्क बनबाबी। “मैथिल मंच” के तकनीकी सहयोगी आ प्रसिद्ध ग्राफिक्स डिजाइनर श्री कमल मोहन ठाकुर आ श्री विमल मोहन ठाकुर जी के सहयोग सँ
हमसब मिथिला पेंटिंग के डिजिटल कापी के नव प्रयास प्रारंभ कयलौं जहिसँ कम मेहनत पर कलाकार के बेसी अर्थोपार्जन कय सकय छथि। आई हमसब कम सँ कम 50 टका सँ लय क 25000 तक के मिथिला पेंटिंग आ आन जुड़ल सामान हर घर के जरूरत के हिसाब सँ पहुँचा सकय छी।

7. एहि क्षेत्र में कलाकारक शोषण के चर्चा बहुत होईत अछि, एहि पर आहाँ अपन विचार समाधान संग रखियौ पाठकगण लग।

उत्तर : मिथिला पेंटिंग में कलाकार के शोषण प्रशिक्षण शिविर सँ लय क दिल्ली-मुम्बई के पैघ-पैघ बजार तक देखल अछि। गाम-घर सँ सस्ता में पेंटिंग कीनि अपन नाम पर दिल्ली-कलकत्ता-बंबई में बेचि लोक पुरस्कृत भय रहल छथि। जिनका मिथिला पेंटिंग के म तक बूझल नहि ओ मेंहदी के डिजाइन बना क पुरस्कार लै छथि…ईहो सब देखल अछि….कतेक कहब। एहि सब कारण सँ हम अपना के पुरस्कार लेबाक भीड़ सँ अलग कय लेलौं आ आब केवल आ केवल अपन कला साधना में केन्द्रित रहय छी। किछु दिन पहिले दरभंगा, मधुबनी आ पटना में कलाकार सबके श्रमदान के बारे सुनल, पहिले त बहुत खुशी भेल मुदा कलाकर सँ बात भेलाक बाद हतप्रभ रहि गेलौं।
दरभंगा, मधुबनी रेलवे स्टेशन पर मिथिला पेंटिंग्स के लेल सैकड़ों कलाकार लागल छलथि, एहि में अविश्वसनीय शोषण आ अमानवीय व्यवहार देखल गेल रेलवे प्रशासन, आ तथाकथित मिथिला पेंटिंग्स के एजेंट सब द्वारा। चाय नाश्ता के व्यवस्था तक ठीक सँ नहि भेटलनि कलाकार सबके आ प्रलोभन दय श्रमदान के नाम पर शोषण कयल गेल। आहाँ सोचू जे ई शोषण के पराकाष्ठा नहिं भेल जे मधुबनी जिलाधिकारी के घरक बाहरी देवार(बाऊंड्री) तक के मिथिला पेंटिंग्स सँ छड़वा लेल गेल श्रमदान के नाम सँ, हमरा विचार सँ ई जिलाधिकारीक आ अन्य लोकक विचारक नैतिक पतन के उदाहरण अछि जे ओ एकटा मिथिला पेंटिंग कलाकार के पोचारा करयवला मजदूर तक बना देलखिन प्रलोभन दय दय क। एकटा कलाकार के मनोस्थिति ई देखि क की होयत जे मधुबनी स्टेशन पर कतेक महीना मेहनत कय बनाओल मिथिला पेंटिंग पर लोक थूकय छथि। हमरा सनके कलाकार के लेल ई अतिदु:खदायक अछि। एकटा कलाकार लेल ई बहुत पीड़ादायक अछि अपन कला के अपमान अपन आँखि सँ अपना सामने देखनाई। इहो एकटा मानसिक शोषण अछि।

8. आहाँ देशभरि में भ्रमण करैत छी अपन व्यवसाय लय क….मिथिला के बाहर मिथिला पेंटिंग के की भविष्य देखैत छी आहाँ??

उत्तर : हम केवल मिथिला पेंटिंग के प्रचार-प्रसार लेल देशभरि में भ्रमण करैत छी। ई हमर सौभाग्य अछि जे विवाह सँ पहिले बाबूजी आ भाईजी संग परिवार के सदैव पूर्ण सहयोग भेटल आ विवाह के बाद भगवान एहन पति आ घर देलथि जे हर समय हमर सतत सहयोग करय छथि एहि अभियान में। एखन तक मिथिला पेंटिंग सँ सालाना जतेक आमदनी होईत अछि ओहि सँ बेसी प्रचार-प्रसार में लगाबय छी। एकटा अनुमानित आधार पर लगभग 28000 सँ बेसी मिथिला पेंटिंग हमसब घर-घर में पहुँचाबय में सफलता प्राप्त कयलौं, या ई कहि सकय छी की एखनतक “मैथिल मंच” आ “Mukti Art Gallary” के संग हमसब 28000 सँ बेसी घर में मिथिला पेंटिंग पहुँचा चुकल छी पूरा देश में।
आन लोक आ कलाकार विदेश में मिथिला पेंटिंग के भविष्य देखय छथि, मुदा विश्वास करू कि अपन मिथिला, बिहार आ अपन देश में सेहो बहुत पैघ भविष्य अछि अपन मिथिला पेंटिंग के। देश के हर घर में मिथिला बसैत अछि आ देश के हर-घर में मिथिला पेंटिंग के एकटा जगह राखल अछि, हमरा सबके केवल अपन कला ओतय तक पहुँचेबाक अछि।

9. आहाँक आगामी की परियोजना अछि मिथिला पेंटिंगके कला के प्रोत्साहन लेल?

उत्तर : हमसब एहिना सतत संयुक्त रूप सँ काज करैत मिथिला पेंटिंग के मिथिले टा नहिं अपितु देश के घर-घर तक पहुँचाबय लेल प्रयास जारी राखब। हमसब अपन सहयोग सँ मिथिला के हर स्तर के विद्यालय में मिथिला पेंटिंग श्रमदान सँ बनाबय के एकटा प्रोजेक्ट पर विचार कय रहल छी जहिमें हमर सबके टीम के हर कलाकार अपन गाम के विद्यालय में मिथिला पेंटिंग करती अपन टीम संगे, ताकि आजुक गामक पीढ़ी सेहो एहि कला के आत्मसात कय आगा बढ़त।

10. मिथिला के कलाकार सबलेल की संदेश देबय चाहब ई समाद के माध्यम सँ??

उत्तर : एकटा कलाकार के रूप में हम एतबे आग्रह करबनि जे कखनो अपन बनाओल कला कोनो तरहक प्रलोभन में किनको फ्री में नहिं बाँटि। आहाँक हाथक बनल ई कला कोनो बाजारू समान नहि अछि, जँ फ्री में देबाक विचार हुए त कोनो विद्यालय, कोनो मंदिर, वा कोनो सामाजिक स्थान पर भेंटस्वरूप दी। कोनो नेताजी के भेंटस्वरूप नहिं दी कियैकि बहुते रास नेतागण ओतय हम कबाड़ीवला गोदाम आ  कचड़ाक डिब्बा में फेकल बेहतरीन मिथिला पेंटिंग देखने छी। मिथिला पेंटिंग एकटा साधना अछि, सतत अपन साधना में लागल रही, माँ जानकी हमेंशा साधक के लेल हर तरहक व्यवस्था करैत रहय छथिन।

सँ बात करय लेल धन्यवाद!!

धन्यवाद…. जय मिथिला

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Maithil Manch :: मैथिल मंच
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